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16 लाख किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाले सौर कण फेंक रहा सूरज वैसा नहीं है, जैसा अब तक समझा गया- नई खोज

जो तकनीक केमिकल एलीमेंट्स मापने में इस्तेमाल की गई है, वह इसकी केमिकल कम्पोजिशन के बारे में ज्यादा सटीक अनुमान लगाती है। 

16 लाख किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाले सौर कण फेंक रहा सूरज वैसा नहीं है, जैसा अब तक समझा गया- नई खोज

सूरज के पास पहले लगाए गए अनुमान से ज्यादा ऑक्सीजन, सिलिकॉन और निओन है

ख़ास बातें
  • सूरज में 26 प्रतिशत ज्यादा ऐसे एलीमेंट हैं जो हीलियम से ज्यादा भारी हैं
  • ऑक्सीजन की वैल्यू नई खोज के अनुसार 15 प्रतिशत ज्यादा है
  • केमिकल कम्पोजिशन के बारे में मिला ज्यादा सटीक अनुमान
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सूर्य रहस्य से भरा खगोल पिंड है। हम धरतीवासी सूरज से 15 करोड़ किलोमीटर दूर हैं और हमें इस तारे का एक सीमित हिस्सा ही दिखता है। सूरज की सतह भस्म कर देने वाली गर्मी पैदा करती है और यह लगातार ऐसे कण फेंक रही है जो 10 लाख मील प्रति घंटे की रफ्तार से इसकी सतह से निकलते हैं। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि सूर्य के बारे में हमें आए दिन कुछ नई बात पता लगे, क्योंकि इसके बारे में अभी वैज्ञानिकों के पास भी सीमित जानकारी है। अब, खगोल वैज्ञानिकों ने सौर कंपन (हेलीओसिस्मोलॉजी) द्वारा निर्धारित सूर्य की आंतरिक संरचना और तारकीय विकास के मौलिक सिद्धांत से प्राप्त संरचना के बीच एक दशक से चले आ रहे विवाद को सुलझाया है। यह सूर्य की वर्तमान केमिकल कम्पोजिशन पर आधारित है। 

उदाहरण के लिए सूरज के पास पहले लगाए गए अनुमान से ज्यादा ऑक्सीजन, सिलिकॉन और निओन है। इसके अलावा जो तकनीक इसे मापने में इस्तेमाल की गई है, वह इसकी केमिकल कम्पोजिशन के बारे में ज्यादा सटीक अनुमान लगाती है। 

इसके लिए जो तरीका इस्तेमाल किया गया उसमें स्पेक्ट्रल एनालिसिस की गई है। यह लाइट को अलग अलग लम्बाई की तरंगों में बदलता है। इसकी काली लाइनें तारे के स्पेक्ट्रा में देखी जा सकती हैं जहां पर खास केमिकल कम्पोनेंट्स हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, सूर्य और इसके जैसे दूसरे तारे हाईड्रोजन और हीलियम से बने हैं। इस स्टैंडर्ड मॉडल की जांच के लिए 2009 में वातावरणीय अवलोकन किया गया।   

हीलियोसिज्मिक मॉडल कहता है कि सूरज के अंदर अधिक ताप से कम ताप में ऊर्जा के शिफ्ट होने का जो जोन (convection zone) है, जहां पर पदार्थ एक्टिव रूप से मिक्स होता है और एनर्जी को भीतरी परत से बाहरी परत में ट्रांसफर करता है, वह जोन स्टैंडर्ड मॉडल से कहीं ज्यादा बड़ा है। 

सूरज की केमिकल कम्पोजिशन की स्पेक्ट्रल एस्टिमेशन जिन मॉडल्स पर आधारित है, उनको दोबारा से परखने के बाद Ekaterina Magg, Maria Bergemann और उनके साथियों ने इस समस्या का समाधान निकाला है। उन्होंने उन सभी केमिकल एलीमेंट्स की लिस्ट बनाई है जो मॉडर्न स्टेलर डेवलपमेंट के साथ जुड़ते मालूम होते हैं। 

Magg का कहना है कि उनकी खोज के अनुसार सूरज में 26 प्रतिशत ज्यादा ऐसे एलीमेंट हैं जो हीलियम से ज्यादा भारी हैं। पुराने अध्य्यनों में ऑक्सीजन की जो वैल्यू बताई गई है, वह नई खोज के अनुसार 15 प्रतिशत ज्यादा है। इस हिसाब से सूरज की केमिकल कम्पोजिशन, जो अब तक समझी जाती आई है, उससे कहीं अलग है। और, इसमें जो केमिकल कम्पोनेंट्स जो अब तक समझे जाते आए हैं, वे भी ज्यादा मात्रा में हैं और पुराने मॉडल्स की तुलना में अलग हैं। 
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