सूर्य (Sun) में पृथ्वी से 20 गुना बड़ा कोरोनल होल (Coronal Hole) मिलने के बाद वैज्ञानिक अलर्ट हो गए हैं। कोरोनल होल एक काला धब्बा होता है, जो सूर्य के सबसे बाहरी स्फेयर ‘कोरोना' में एक छेद के रूप में दिखाई देता है। एक सप्ताह के अंदर सूर्य में दूसरा ‘कोरोनल होल' दिखाई दिया है। इस बीच, सूर्य से निकले एक सोलर फ्लेयर (Solar Flare) की वजह से पृथ्वी पर अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट की घटना हुई। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने बताया है कि सूर्य से बेहद ताकतवर फ्लेयर का उत्सर्जन हुआ। इसके असर से पृथ्वी पर रेडियो कम्युनिकेशन पर असर पड़ा, जो आज भी जारी रह सकता है।
जानकारी के अनुसार, सूर्य से निकले
फ्लेयर को X1.2 के रूप में क्लासिफाइड किया गया। इस फ्लेयर को नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (SDO) ने देखा था। SDO लगातार हमारे सूर्य को मॉनिटर कर रही है और उसमें होने वाली हलचलों की जानकारी दे रही है। सूर्य से जिस फ्लेयर का उत्सर्जन हुआ, वह एक्स क्लास का था। इस कैटिगरी के सोलर फ्लेयर सबसे ज्यादा पावरफुल होते हैं।
क्या होते हैं सोलर फ्लेयर्स
जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्स प्रकाश की गति से अपना सफर तय करते हैं।
नासा SDO के अनुसार, सोलर फ्लेयर 28 मार्च को अपने पीक पर था। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (
NOAA) का भी कहना है कि इस सोलर फ्लेयर की वजह से रेडियो ब्लैकआउट भी हुआ। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में रेडियो कम्युनिकेशन पर असर पड़ा।
वहीं, सूर्य में दिखाई दिए
कोरोनल होल की वजह से आज हमारे ग्रह पर 29 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सौर हवाएं (Solar Winds) आएंगी। सौर हवाएं बहुत ताकतवर हों, तो उसके असर से पृथ्वी पर इंटरनेट, मोबाइल फोन नेटवर्क और जीपीएस सिस्टम पर असर पड़ सकता है। ये हमारी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट्स को भी प्रभावित कर सकती हैं। मौजूदा सौर हवाएं कितनी प्रभावी होंगी, यह आज पता चलेगा, जब हमारी पृथ्वी इनका सामना करेगी।