वैज्ञानिकों ने 7 ‘आवारा'
ग्रहों का पता लगाया है। यूक्लिड स्पेस टेलिस्कोप (Euclid space telescope) की मदद से खोजे गए इन ग्रहों की खूबी है कि ये किसी तारे की परिक्रमा नहीं करते। जिस तरह हमारी पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है, सातों ‘आवारा' ग्रह अपने हिसाब से मूव करते हैं। यहां कोई दिन या साल नहीं होता और सिर्फ रात रहती है। इसके बावजूद वैज्ञानिकों का मानना है कि इन ग्रहों पर जीवन होने की संभावना है और हमारी आकाशगंगा (Milky way) में ऐसे खरबों ग्रह हो सकते हैं।
एनडीटीवी की
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने यूक्लिड टेलीस्कोप के पहले साइंटिफिक रिजल्ट रिलीज किए। इस टेलिस्कोप को पिछले साल जुलाई में लॉन्च किया गया था। जिन सात ‘आवारा' ग्रहों का पता लगा है, वो गैस के विशाल ग्रह हैं जैसे हमारा-बृहस्पति। हालांकि उनका द्रव्यमान बृहस्पति से कम से कम चार गुना है। इन ग्रहों को पृथ्वी के सबसे करीबी तारा-निर्माण क्षेत्र (star-forming region) ओरियन नेबुला (Orion Nebula) में देखा गया। यह जगह पृथ्वी से 1500 प्रकाश वर्ष दूर है।
यूक्लिड टेलिस्कोप ने पहले खोजे जा चुके दर्जनों अन्य ग्रहों के होने की भी पुष्टि की है, जो किसी तारे की परिक्रमा नहीं करते। arXiv.org पर यह प्री-प्रिंट स्टडी पब्लिश हुई है। इसे लिखने वाले स्पेनिश खगोलशास्त्री एडुआर्डो
मार्टिन का कहना है कि यह संभवत: किसी आईसबर्ग का सिरा जैसा है।
एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में मार्टिन ने कहा कि ऐसे ग्रह किसी तारे की रोशनी को रिफ्लेक्ट नहीं करते, जिस वजह से उन्हें खोजना मुश्किल हो जाता है। यह ‘भूसे के ढेर में सुई खोजने' जैसा है। कुछ रिसर्च में यह पता चला है कि हरेक तारे के कम से कम 20 ग्रह हैं, जो उसका चक्कर नहीं लगाते। इस हिसाब से हमारी आकाशगंगा में ही ‘आवारा' ग्रहों की संख्या खरबों में हो सकती है।
इस बारे में विस्तृत डिटेल साल 2027 के बाद मिल सकती है, जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी रोमन स्पेस टेलिस्कोप (Roman space telescope) को लॉन्च करेगी।