खगोलविदों की एक टीम एक विशेष सिस्टम को स्टडी कर रही है, जिसे VFTS 243 कहा जाता है। यह एक बड़े मैगेलैनिक क्लाउड के टारेंटयुला नेबुला में एक सैटेलाइट गैलेक्सी है, जो हमसे लगभग 163,000 प्रकाश वर्ष दूर मिल्की-वे की परिक्रमा करती है। खगोलविदों को इस सिस्टम के बारे में लंबे वक्त से पता है। अबतक यह संदेह था कि इसमें एक बहुत बड़ा ब्लू-वाइट तारा शामिल है, जो सूर्य से लगभग 25 गुना ज्यादा बड़ा है। खगोलविदों को लगता था कि यह अपने किसी साथी तारे के साथ कक्षा में था, लेकिन वह क्या था? एक बंद ब्लैक होल या कोई छोटा डिम और उबाऊ तारा?
रिपोर्ट्स के अनुसार, खगोलविद यह मान रहे थे कि सिस्टम से आने वाली पूरी लाइट सिर्फ एक ब्लू-वाइट तारे से निकल रही है। उसके सहयोगी से कोई रोशनी नहीं आ रही। यकीनन वह छोटी सी चीज कोई रोशनी उत्सर्जित नहीं कर रही। यह एक ब्लैक होल की तरह लगता है। एक डरपोक ब्लैक होल की तरह! ऑर्बिट के आधार पर ब्लैक होल का द्रव्यमान सूर्य से कुछ गुना अधिक होता है, लेकिन यह केवल 33 मील की दूरी पर होता है और यह संभावित ब्लैक होल अपने साथी से काफी छोटा और दूर है। यानी यह किसी भी गैस को नहीं चूस सकता, इसलिए यह प्रकाश उत्सर्जित नहीं करता।
वैज्ञानिकों का कहना है कि वह नहीं जानते कि ऐसे कितने ब्लैक होल छुपे हुए हैं। नई जानकारी बहुत मायने रखती है, क्योंकि यह एक नए तरीके से ब्लैक होल खोजने की संभावना को जाहिर करती है।
गौरतलब है कि ब्लैक होल हमारे अंतरिक्ष की सबसे पेचीदा और रहस्यमयी चीजें हैं। इनमें जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण खिंचाव होता है। इसकी वजह से यह किसी भी चीज को अपने पास से गुजरने नहीं देते। प्रकाश यानी लाइट भी जब इनमें जाती है, वह भी गुम हो जाती है। कुछ महीनों पहले हमने आपको बताया था कि MIT के रिसर्चर्स ने भी हमारी आकाशगंगा में 8 नए इको ब्लैक होल बायनेरिज का पता लगाया है। अबतक ऐसे 2 ब्लैक होल के बारे में ही जानकारी थी। इको ब्लैक होल बायनेरिज ऐसा सिस्टम है, जो एक तारे की परिक्रमा करता है।
ये फाइंडिंग्स ‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में प्रकाशित हुई थीं। इनसे समझा जा सकता है कि हमारी आकाशगंगा में विशाल ब्लैक होल किस तरह से बने होंगे। MIT में फिजिक्स की असिस्टेंट प्रोफेसर एरिन कारा ने एक बयान में कहा कि आकाशगंगा के डेवलपमेंट में ब्लैक होल की भूमिका मॉडर्न एस्ट्रोफिजिक्स का बेहतर सवाल है। कारा ने कहा कि इन छोटे ब्लैक होल बायनेरिज में होने वाले विस्फोट को समझकर वो यह समझने की उम्मीद करते हैं कि सुपरमैसिव ब्लैक होल में इसी तरह के विस्फोट से उनकी आकाशगंगा पर कैसे असर पड़ता है।