दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले करोड़ों लोगों के शरीर में जहर घुल रहा है। वायु प्रदूषण (Air Pollution) के गंभीर कैटिगरी में पहुंचने के कारण राजधानी की आबो-हवा खतरनाक हो गई है। यकीन मानिए! आप और हम सिर्फ जीने के लिए सांस ले रहे हैं। इसका स्वस्थ जीवन से जरा भी ताल्लुक नहीं। दिल्ली और एनसीआर के तमाम शहरों का एयर क्वॉलटी इंडेक्स यानी AQI 400 के पार चल रहा है। नोएडा में तो यह 500 के पार चला गया है। स्थिति यह है कि जो लोग सिगरेट नहीं पीते, वह भी दर्जनों सिगरेट जितना धुआं, हवा में मौजूद प्रदूषण के रूप में अपने शरीर में ले रहे हैं।
सफर का ऐप बता रहा है कि शुक्रवार शाम 6 बजे दिल्ली में ओवरऑल एयर क्वॉलिटी 431 पर है, जो
‘गंभीर' कैटिगरी है। एनसीआर के इलाकों की बात करें, तो गुरुग्राम का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 478 और नोएडा का 529 है। इन सभी शहरों और राजधानी के लोग प्रदूषण के रूप में दर्जनों सिगरेट के जितना धुआं अपने शरीर के अंदर खींच रहे हैं।
रिसर्च बताती हैं कि रोजाना एक सिगरेट से PM2.5 के 22 माइक्रोग्राम/एम3 जितना कंसंट्रेशन होता है। दिल्ली का AQI अभी 431 है, यानी दिल्ली वाले 19 सिगरेट के बराबर जहरीला धुआं अपने शरीर में खींच रहे हैं। इसे एनसीआर के शहरों के लिए कैलकुलेट करें, तो गुरुग्राम में लोग 21 सिगरेट और नोएडा में 24 सिगरेट के बराबर धुआं अपने शरीर में खींच रहे हैं।
यह भयावह है। बुजुर्गों और बच्चों के लिए हालात इमरजेंसी वाले हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि एक सिगरेट लोगों की जिंदगी को 11 मिनट तक कम कर सकती है। इसे प्रदूषण से जोड़ दिया जाए, तो ना जाने लोगों की लाइफ के कितने दिन कम हो गए होंगे, क्योंकि प्रदूषण का यह ‘जहरीला' रुख कई दिनों से जारी है।
दिल्ली में प्राइमरी स्कूलों को अगले आदेश तक
बंद रखने को कहा गया है। नोएडा में 8वीं तक के स्कूल 8 नवंबर तक बंद रहेंगे। दिल्ली सरकार के 50 फीसदी कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे। ऐसा ही सुझाव प्राइवेट कंपनियों के लिए भी दिया गया है। दिल्ली में ऑड-ईवन लागू करने पर भी विचार चल रहा है। हालात बेहतर नहीं हुए, तो ऑड-ईवन फॉर्म्युला को शुरू किया जा सकता है।