एक नए अध्ययन के अनुसार अगले 1,00,000 साल तक हमारे सोलर सिस्टम की स्टेबिलिटी खोने की संभावना नहीं है, जबकि अंतरिक्ष का बाहरी हिस्सा रहस्यमयी और कुछ हिंसक इंटरस्टेलर घटनाओं से भरा हो सकता है। यह पृथ्वी और सौर मंडल पर असर डाल सकता है। सोफिया यूनिवर्सिटी के गणितज्ञों ने यह बात कही है। इस आकलन तक पहुंचने के लिए रिसर्चर्स ने अरबों वर्षों की टाइमलाइन को देखने के बजाए एक छोटे हिस्से को कवर किया। बुल्गारिया में सोफिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में यह निष्कर्ष निकाला है कि सौर मंडल की कक्षाएं अगली 100 सहस्राब्दियों में बहुत अधिक नहीं बदलेंगी। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए गणितज्ञ एंजेल झिवकोव और इवायलो टौंचेव ने आठ प्रमुख ग्रहों के ऑर्बिटल एलिमेंट्स को समझा।
इस मेथड में सामने आए कंप्यूटर कोड को फिर एक डेस्कटॉप कंप्यूटर में फीड किया गया, जिसने उसे प्रोसेस किया और 62,90,000 स्टेप्स में कैलकुलेशन की। हर स्टेप में लगभग 6 दिनों का हिसाब था। रिसर्चर्स ने
कहा कि सूर्य के चारों ओर ‘ऑस्कुलेटिंग इलिप्स के विन्यास' पर सभी ग्रह घूमते हैं। वह कम से कम 1,00,000 साल तक स्थिर रहेगा। इसका मतलब है कि सभी ग्रह अपनी कक्षा में रहते हुए सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते रहेंगे।
हमारे सोलर सिस्टम के भविष्य की भविष्यवाणी करने के लिए इससे पहले भी एडवांस्ड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करके स्टडी की गई है, लेकिन उनमें अरबों साल में फैले समय के पैमाने को कवर किया गया है। वहीं इस रिसर्च में जिवकोव और टौंचेव ने अरबों साल के बजाए समय के छोटे पैमाने को कवर किया।
विज्ञान से जुड़ी अन्य खबरों की बात करें, तो बीते दिनों वैज्ञानिकों को नई कामयाबी हाथ लगी। उन्होंने पृथ्वी जैसे दो ग्रहों वाला एक सौर मंडल हमसे नजदीक करीब 33 प्रकाश वर्ष दूर खोज लिया गया है। वैसे यह खोज पिछले साल अक्टूबर में ही हो गई थी, लेकिन साइंटिस्ट इसे पुख्ता कर रहे थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) ने इसे देखा था। आखिरकार 16 जून को कैलिफोर्निया में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में इसकी घोषणा की गई। इस खोज के बाद अहम सवाल यह उठता है कि क्या इन ग्रहों में जीवन संभव है? क्या पृथ्वी की तरह एक और दुनिया आने वाले वक्त में मुमकिन हो सकती है?
रिपोर्ट के अनुसार, इस सवाल का जवाब फिलहाल तो ‘नहीं' में उत्तर देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे पड़ोसी सौर मंडल में पृथ्वी के आकार वाले कम से कम दो चट्टानी ग्रह भले मौजूद हों, लेकिन इनमें से किसी के भी जीवन की मेजबानी करने की संभावना नहीं है।