एक नई खोज करते हुए
वैज्ञानिकों ने 3.7 अरब साल पुरानी चट्टानों का पता लगाया है। एमआईटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट को ग्रीनलैंड में ये पुरानी चट्टानें मिली हैं। दावा है कि इनमें पृथ्वी के शुरुआती चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) के अवशेष मौजूद हैं। यह रिसर्च पृथ्वी पर जीवन के प्रारंभिक दिनों के बारे में रोशनी डाल सकती है। जियोफिजिकल रिसर्च पेपर में नई फाइंडिंग्स को
पब्लिश किया गया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर प्राचीन चुंबकीय क्षेत्र की ताकत कम से कम 15 माइक्रोटेस्ला थी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. क्लेयर निकोल्स ने कहा कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ही हमें हानिकारक विकिरण यानी रेडिएशन से बचाता है। इसकी वजह से ही हमारे महासागर और वायुमंडल में स्थिरता है। इस वजह से चुंबकीय क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण पहलू है।
रिसर्च टीम को डॉ. क्लेयर निकोल्स के साथ एमआईटी के प्रोफेसर बेंजामिन वीस ने लीड किया। रिसर्च टीम ने ग्रीनलैंड के इसुआ सुप्राक्रस्टल बेल्ट (Isua Supracrustal Belt) पर अपना अभियान शुरू किया। यह जगह प्राचीन चट्टानी संरचनाओं के लिए जानी जाती है। वैज्ञानिक इन चट्टानों में लोहे की संरचनाओं का विश्लेषण करके उनमें अरबों साल से संरक्षित मैग्निटिक सिग्नेचर्स को समझना चाहते थे।
चट्टानी सैंपलों को लैब टेस्ट के लिए ले जाया गया। वैज्ञानिकों ने कन्फर्म किया कि तमाम हालात से गुजरने के बाद भी चट्टानों ने एक प्राचीन चुंबकीय क्षेत्र बरकरार रखा है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि पृथ्वी का प्रारंभिक चुंबकीय क्षेत्र आज के चुंबकीय क्षेत्र को फ्यूल देने वाले सोर्स की तुलना में अलग पावर से जुड़ा है। इससे चुंबकीय क्षेत्र के उत्पत्ति के मौजूदा सिद्धांत को भी चुनौती मिलती है।
वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि पृथ्वी अपने शुरुआती चरण में इतना पावरफुल चुंबकीय क्षेत्र कैसे बनाए रख पाई। यह खोज पृथ्वी के इतिहास के बारे में नए राज खोल सकती है। पृथ्वी से बाहर जीवन की तलाश में भी यह खोज कारगर हो सकती है।
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