अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने उसके हबल स्पेस टेलीस्कोप से नेब्युला (निहारिका) की खींची गई इमेज शेयर की है, जो अंतरिक्ष में एक गहरी सुरंग की तरह दिखती है। इस नेब्युला का जन्म एक मरते हुए तारे की वजह से हुआ है, जिसका नाम एचडी 44179 है और यह तारा लगभग 14000 साल से अपनी आउटर लेयर्स को अलग कर रहा है। खास बात यह है कि यह तारा, सूर्य के समान है, लेकिन यह मर रहा है और इस वजह से गैस और अन्य सामग्री ब्रह्मांड में छोड़ रहा है, जो इसे एक बहुत ही अलग आकार देते हैं। यह तारा एक अद्भुत संरचना से घिरा है, जिसे लाल आयत के रूप में जाना जाता है
हालांकि हबल टेलीस्कोप द्वारा ली गई तस्वीरों में यह नेब्युला "X" शेप में दिखाई देता है, जिसमें चमकीली गैस की रंग-बिरंगी रेखाएं नजर आती हैं। नासा ने इंस्टाग्राम पर लिखा है कि यह नेब्युला हमारे मिल्की-वे में एक प्रकाश स्तंभ की तरह चमकता है। लाल आयतकार यानी रेड रेक्टेंगल यह नेब्युला पृथ्वी से लगभग 2300 प्रकाश-वर्ष दूर मोनोसेरोस तारामंडल की ओर स्थित है, जिसका लैटिन में अर्थ है 'यूनिकॉर्न।'
नासा के अनुसार, कुछ लाख साल में यह एक नेब्युला ग्रह में बदल सकता है।
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यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अनुसार, इस नेब्युला को पहली बार 1970 के दशक की शुरुआत में एक रॉकेट उड़ान के दौरान खोजा गया था। तब खगोलविद्, इन्फ्रारेड रेडिएशन के मजबूत सोर्सेज की खोज कर रहे थे। इसे रेड रेक्टेंगल नाम 1973 में एस्ट्रोनॉमर्स- मार्टिन कोहेन और माइक मेरिल ने दिया था। इसके बाद ही हबल ने नेब्युला के एक्स शेप का खुलासा किया था। हबल स्पेस टेलीस्कोप को नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया था।
लाल आयतकार नेब्युला से निकलने वाली रोशनी भी कुछ अजीब है। इस तारे में ऐसा कुछ है, जो तारे के वायुमंडल को एक समान विस्तार से रोक रहा है। इस वजह से वर्तमान में यह रिसर्च के लिए भी हॉट टॉपिक बना हुआ है। हबल टेलीस्कोप को अप्रैल 1990 में स्पेस में लॉन्च किया गया था। तब से इसने डीप स्पेस की कई बेहतरीन तस्वीरें कैद की हैं।