नासा (Nasa) के आर्टिमिस 1 (Artemis 1) मिशन ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। करीब 25 दिनों तक चंद्रमा की टोह लेने के बाद नासा का ओरियन कैप्सूल (Orion space capsule) पृथ्वी पर लौट आया। इसने प्रशांत क्षेत्र (Pacific) में समुद्र में सफल लैंडिंग की। आर्टिमिस मिशन का मकसद इंसान को दोबारा चांद पर भेजना और वहां लंबे समय तक रुकने के लिए योजना बनाना है। रिपोर्टों के अनुसार, ओरियन कैप्सूल तीन बड़े लाल और सफेद पैराशूट की मदद से समुद्र में उतरा।
ओरियन कैप्सूल को सबसे पहले साल 2014 में टेस्ट किया गया था। हालांकि तब यह पृथ्वी की कक्षा में ही रहा था और 20 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से वापस आ गया था। पहली बार चंद्रमा का चक्कर लगाकर पृथ्वी पर सफलता के साथ लौटा है। कैप्सूल को समुद्र से रिकवर किया जा सके, इसके लिए USS पोर्टलैंड को तैनात किया गया था। साथ ही हेलीकॉप्टर और नावों को भी तैनात किया गया था। नासा कई वर्षों से इससे जुड़ी रिहर्सल कर रही थी।
रविवार को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही कैप्सूल को 2,800 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान का सामना करना पड़ा। मिशन का मुख्य लक्ष्य ओरियन कैप्सूल की हीट शील्ड का परीक्षण करना था। नासा के लिए इस मिशन की सफलता बहुत मायने रखती है, क्योंकि आने वाले वर्षों में आर्टिमिस मिशन के अगले चरण लॉन्च होने हैं और इन मिशनों पर नासा ने अरबों डॉलर खर्च करने की तैयारी की है।
पैराशूट की मदद से नीचे उतरते हुए ओरियन कैप्सूल ने 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से समुद्र में लैंड किया। नासा के वैज्ञानिक यह भी देखेंगे कि पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही अत्यधिक गर्मी का सामना करने वाले कैप्सूल पर क्या असर हुआ। इससे कैप्सूल के अंदर के तापमान पर कितना असर पड़ा। इस स्पेसक्राफ्ट ने अबतक 14 लाख मील (2253081.6 किलोमीटर) की यात्रा की है। आर्टिमिस 1 मिशन को 16 नवंबर को SLS रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया था।
मिशन के दौरान इसने चंद्रमा की बेहतरीन तस्वीरें लीं, वीडियो रिकॉर्ड किए। चंद्रमा के पृथ्वी को कैप्चर किया। इसके अलावा, चंद्रमा की सतह के एकदम नजदीक 130 किलोमीटर से कम दूरी पर उड़ान भरी। यह ऐसा ह्यूमन स्पेसक्राफ्ट है, जिसने पृथ्वी से 432,000 किलोमीटर की दूरी तय की, जो एक रिकॉर्ड है।