NASA अंतरिक्ष अभियानों के अंतर्गत खगोलीय पिंडों के बारे में लगातार स्टडी कर रही है। नासा के इन अभियानों में एस्टरॉयड की स्टडी भी एक मिशन है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, पृथ्वी 4.5 अरब साल पहले बनी है। लेकिन पृथ्वी के निर्माण के समय ही कुछ चट्टानें सौरमंडल में बिखरीं रह गईं बताई जाती हैं जिन्हें एस्टरॉयड का नाम दिया गया है। ये एस्टरॉयड ग्रहों के निर्माण के समय हुए विस्फोट से बने बताए जाते हैं जो लगातार सूरज का चक्कर लगाते हैं। ऐसे में यह घूमते हुए कभी भी पृथ्वी की दिशा में चले आते हैं। जब ये पृथ्वी की दिशा में बहुत नजदीक आने लगते हैं तो नासा इन्हें ट्रैक करती है, और इनके लिए अलर्ट जारी करती है। आज नासा ने स्टेडियम जितने बड़े एस्टरॉयड के लिए अलर्ट जारी किया है जो धरती के बड़ा खतरा ला सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
स्पेस एजेंसी
नासा ने आज 2 एस्टरॉयड के लिए अलर्ट जारी किया है। नासा की
जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी (JPL) एस्टरॉयड के लिए ट्रैकिंग करती है। JPL के अनुसार, 4 अगस्त को दो चट्टानी टुकड़े धरती की ओर आ रहे हैं। इनमें से एक एस्टरॉयड 620082 (2014 QL433) है जो कि आज पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। 1200 फीट का चट्टानी टुकड़ा है। इसका आकार बहुत बड़ा है, जो कि एक फुटबॉल स्टेडियम जितना है। यह 5,350,000 किलोमीटर की दूरी तक पृथ्वी के करीब होकर गुजरेगा।
Asteroid 620082 (2014 QL433) ऐसी चट्टान है जिसको सूरज का चक्कर लगाने में 1110 दिन का समय लगता है। स्पेस रेफरेंस के अनुसार, यह 29 अगस्त 2014 को खोजा गया था। इससे पहले यह 23 जुलाई 2020 में देखा गया था। अगर आज यह धरती के करीब से गुजर जाता है तो धरती से इसका अगला सामना 12 अगस्त 2026 को होगा। इसका आकार बहुत बड़ा है और अगर यह धरती की ओर आता है बड़ी तबाही ला सकता है। यह 74,246 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है।
इसके साथ एक और एस्टरॉयड आज धरती की ओर निशाना लगाए हुए है। इसका नाम
एस्टरॉयड 2023 OR5 है। यह 95 फीट का चट्टानी टुकड़ा है। हवाई जहाज जितना बड़ा ये एस्टरॉयड 2,850,000 किलोमीटर तक धरती के नजदीक आने वाला है। हालांकि नासा ने किसी भी एस्टरॉयड के धरती पर गिरने जैसी सूचना अभी तक जारी नहीं की है। एस्टरॉयड के अलावा कई बार उल्का पिंड भी धरती पर आ गिरते हैं। हाल ही में अमेरिका के न्यू जर्सी (New Jersey) के होपवेल में एक घर में उल्का पिंड गिरने की खबर आई थी। रिपोर्ट के मुताबिक यह उल्का पिंड का टुकड़ा बताया गया था। इस चट्टानी टुकड़े का वजन करीब 1.8 किलोग्राम बताया गया था। जो उल्काएं पूरी नहीं जल पातीं, उनका बचा हुआ भाग पृथ्वी पर गिरता है। इसी तरह एस्टरॉयड भी पृथ्वी पर गिर सकते हैं, जिसकी काफी संभावना होती है।