24 साल से धीमे घूम रही है धरती! घड़ी पर पड़ेगा असर- वैज्ञानिक

शोधकर्ता इन परतों के बारे में तरंगों के माध्यम से स्टडी करते हैं।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 15 जून 2024 20:44 IST
ख़ास बातें
  • भीतरी कोर 2010 के बाद से धीमे घूमती आ रही है।
  • इससे दिन की लम्बाई एक सेकंड के कुछ हिस्से के बराबर बदल सकती है।
  • शोधकर्ता इन परतों के बारे में तरंगों के माध्यम से स्टडी करते हैं।

धरती की सबसे भीतरी परत जिसे कोर (Core) कहते हैं, इसका अंदरूनी भाग अब पहले की बजाए धीमे घूम रहा है।

Photo Credit: NASA

धरती लगातार सूरज के चारों तरफ घूम रही है, साथ ही यह अपनी धुरी पर भी घूमती जा रही है। धुरी पर घूमने से दिन और रात बनते हैं, जबकि सूर्य की परिक्रमा से ऋतुएं बदलती हैं। लेकिन एक नई स्टडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। स्टडी कहती है कि पृथ्वी की सबसे भीतरी परत ने अपने घूमने की गति कम कर दी है। जिससे कि एक दिन का समय जो 24 घंटे का होता है, वह बदल सकता है। लेकिन यह बदलाव बहुत ही छोटा होगा। 

स्टडी में कहा गया है कि धरती की सबसे भीतरी परत जिसे कोर (Core) कहते हैं, इसका अंदरूनी भाग अब पहले की बजाए धीमे घूम रहा है। कोर के दो भाग हैं- एक भातरी कोर, और एक बाहरी कोर। भीतरी कोर 2010 के बाद से धीमे घूमती आ रही है। इससे दिन की लम्बाई एक सेकंड के कुछ हिस्से के बराबर बदल सकती है। 

पृथ्वी की भातरी परत कोर का अंदरूनी हिस्सा एक ठोस गोला माना जाता है जो लोहे और निकल जैसी धातुओं से बना है। जबकि इसी का जो बाहरी भाग है, वह लिक्विड का बना है जिसमें पिघली हुई धातुएं हैं। इसके बाद पृथ्वी की अन्य दो बाहरी परते हैं। कोर के बाद मेंटल परत मौजूद है और उसके बाद सबसे ऊपरी परत क्रस्ट है, जिस पर हम रहते हैं। 

शोधकर्ता इन परतों के बारे में तरंगों के माध्यम से स्टडी करते हैं। ये तरंगें भूकंपों के दौरान बाहर भेजी जाती हैं। शोधकर्ता इन्हें रिकॉर्ड करके तीनों परतों की स्थिति और कम्पोजीशन का पता लगाते हैं। University of Southern California से स्टडी से जुड़े प्रोफेसर जॉन विडाले का कहना है कि जब उन्होंने पहली बार सिस्मोग्राम तरंगों को देखा तो वे दंग रह गए थे। 

कई दशकों के बाद भातरी कोर की स्पीड कम हो गई है। वहीं, इसके बारे में कुछ स्टडी यह भी कहती हैं कि यह पृथ्वी की स्पीड से भी ज्यादा तेज गति से घूम रही है। इसका घूमना बाहरी कोर के द्वारा पैदा किए जाने वाले मेग्नेटिक फील्ड से प्रभावित होता है। साथ ही मेंटल के गुरुत्वाकर्षण का भी प्रभाव इस पर बताया जाता है। 
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University of California San Diego से शोधकर्ता Duncan Agnew का कहना है कि लिक्विड कोर की गति भी पृथ्वी की गति से कम हो चुकी थी। इस प्रभाव को कम करने के लिए धरती के सॉलिड भाग ने अधिक तेज गति से घूमना शुरू कर दिया था। 1972 से कुछ सालों बाद एक लीप सेकंड UTC टाइम में जोड़ने की जरूरत देखी जा रही है, क्योंकि माना जाता है कि धरती हमेशा एक ही स्पीड से नहीं घूमती है। 
 
 

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