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जापान लेगा एस्‍टरॉयड्स से ‘टक्‍कर’, धरती को बचाने के लिए कुर्बान होंगे स्‍पेसक्राफ्ट! जानें

Japan Asteroid Mission : जाक्‍सा ने हायाबुसा2 को ही साल 2014 में भी लॉन्‍च किया था। तब उसका लक्ष्‍य एस्‍टरॉयड ‘162173 रयुगु’ था।

जापान लेगा एस्‍टरॉयड्स से ‘टक्‍कर’, धरती को बचाने के लिए कुर्बान होंगे स्‍पेसक्राफ्ट! जानें

‘जाक्‍सा’ दुनिया की उन चुनिंदा एजेंसियों में शुमार है, जिसने 2020 में एस्‍टरॉयड ‘रयुगु’ से लिए गए सैंपलों को पृथ्‍वी पर पहुंचा दिया था।

ख़ास बातें
  • जापान लॉन्‍च करेगी एस्‍टरॉयड मिशन
  • पृथ्‍वी के लिए खतरा बने एस्‍टरॉयड होंगे निशाने पर
  • अगले कुछ साल में लॉन्‍च होंगे मिशन
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Japan Asteroid Mission : जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ‘जाक्‍सा' (JAXA) चंद्रमा पर मिशन भेजने में भले बाकी देशों से पीछे है, लेकिन एस्‍टरॉयड्स (Asteroids) उसके ‘निशाने' पर हैं। ‘जाक्‍सा' दुनिया की उन चुनिंदा एजेंसियों में शुमार है, जिसने 2020 में एस्‍टरॉयड ‘रयुगु' से लिए गए सैंपलों को पृथ्‍वी पर पहुंचा दिया था। अब वह ऐसी तकनीक को टेस्‍ट करने जा रही है, जिसका मकसद पृथ्‍वी को टार्गेट करने वाले एस्‍टरॉयड्स को समय रहते रोकना या बर्बाद कर देना है। खास यह है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) पिछले साल DART नाम के मिशन के तहत ऐसा कर चुकी है।  

इंडिपेंडेट की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जाक्‍सा अपने हायाबुसा2 (Hayabusa2) स्‍पेसक्राफ्ट को तैयार कर रही है। यह पृथ्‍वी की ओर तेजी से आने वाले एस्‍टरॉयड को टार्गेट करेगा। 

जाक्‍सा ने हायाबुसा2 को ही साल 2014 में भी लॉन्‍च किया था। तब उसका लक्ष्‍य एस्‍टरॉयड ‘162173 रयुगु' था। 4 साल के सफर के बाद हायाबुसा2 अपने लक्ष्‍य रयुगु पर पहुंचा। करीब 18 महीनों तक उसने एस्‍टरॉयड का सर्वे किया और फ‍िर उससे सैंपल इकट्ठे करके साल 2020 में उन्‍हें पृथ्‍वी पर पहुंचा दिया।  

आज भी वैज्ञानिक उन सैंपलों की अलग-अलग तरीकों से जांच कर रहे हैं ताकि हमारे ग्रह की शुरुआत से जुड़े सच सामने आ सकें। जाक्‍सा के लोगों ने साल 2020 में कह दिया था कि मिशन में बच गए क्सीनन प्रोपलेंट को वह फ‍िर इस्‍तेमाल करेगा। जाक्‍सा ने एस्‍टरॉयड 2002 CC21 को टार्गेट करने की योजना बनाई है। यही नहीं, साल 2031 तक जाक्‍सा एक और एस्‍टरॉयड ‘1998 KY26' को टार्गेट करना चाहती है, जो अक्‍सर पृथ्‍वी की कक्षा को पार करता है।  

एस्‍टरॉयड 1998 KY26 अभी पृथ्‍वी से लगभग 3 लाख 74 हजार किलोमीटर दूर है। इसका व्‍यास लगभग 30 मीटर है। जाक्‍सा के इस मिशन का मकसद पृथ्‍वी को सुरक्षित बनाना है। स्‍पेस एजेंसी का मानना है कि ऐसी स्‍पेस रॉक्‍स हर 100 से एक हजार से धरती से टकराती हैं। ये हमारे ग्रह को नुकसान पहुंचा सकती हैं। 
 
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