दिल्‍ली से मुंबई 1 घंटे में! Nasa का सुपरसोनिक फ्लाइट ‘मिशन’ बदल देगा हवाई सफर का अंदाज

नासा की फ्लाइट की खास बात यह है कि उसमें सोनिक बूम नहीं सुनाई देगा। सोनिक बूम से मतलब उड़ान के दौरान आसमान से आने वाली गड़गड़ाहट की आवाज से है।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 17 अक्टूबर 2022 17:12 IST
ख़ास बातें
  • सोनिक बूम की तीव्रता को कम करने पर साइंटिस्‍ट काम कर रहे हैं
  • इसके लिए एक विमान को तैयार किया जा चुका है
  • नासा ने इसे क्वेस्ट मिशन नाम दिया है

नई तकनीक हकीकत बनती है, तो भविष्‍य में इससे एविएशन इंडस्‍ट्री में बड़ी क्रांति आएगी।

इस साल आई अमेरिकी ऐक्‍शन ड्रामा फ‍िल्‍म ‘टॉप गन मेवरिक' (Top Gun Maverick) को याद कीजिए! फ‍िल्‍म में टॉम क्रूज एक सुपर-सीक्रेट फाइटर जेट उड़ाते हैं, जिसकी स्‍पीड बेहद तेज है। कुछ ऐसा ही प्‍लान अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने भी बनाया है। नासा एक सुपरसोनिक स्‍पीड वाली फ्लाइट उड़ाना चाहती है। सुपरसोनिक स्‍पीड उस स्‍पीड को कहते हैं, जब कोई ऑब्‍जेक्‍ट ध्‍वन‍ि की गति से भी तेज उड़ता है। इनमें गोलियां, फाइटर एयरक्राफ्ट, स्‍पेस में लॉन्‍च किए जाने वाले रॉकेट आदि शामिल हैं। नासा की फ्लाइट की खास बात यह है कि उसमें सोनिक बूम नहीं सुनाई देगा।   

नासा ने कहा है कि रिसर्चर्स ने इस बात को समझा है कि विमान कैसे सोनिक बूम बनाते हैं। उनके मुताबिक हवाई जहाज के आकार में हेरफेर करके सोनिक बूम की तीव्रता को कम करने पर साइंटिस्‍ट काम कर रहे हैं। इसके लिए एक विमान तैयार भी किया जा रहा है, जिसे X-59 कहा जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, नासा ने इसे क्वेस्ट मिशन नाम दिया है, जो अपने आखिरी चरण में है। नासा अपने X-59 को प्रदर्शित करने का प्‍लान बना चुकी है। नई तकनीक हकीकत बनती है, तो भविष्‍य में इससे एविएशन इंडस्‍ट्री में बड़ी क्रांति आएगी। लंबी दूरी का सफर बहुत कम समय में पूरा होगा। यानी दिल्‍ली से मुंबई की दूरी सिर्फ 1 घंटे में पूरी की जा सकेगी।  

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सोनिक बूम वाली सबसे पहली फ्लाइट आज से करीब 75 साल पहले सुनी गई थी। सोनिक बूम से मतलब उड़ान के दौरान आसमान से आने वाली गड़गड़ाहट की आवाज से है। कहा जाता है कि वह सोनिक बूम, बेल एक्स-1 (Bell X-1) रॉकेट विमान से सुनाई दिया था जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ान भर रहा था। विमान 1200 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे भी ज्‍यादा स्‍पीड में था। 

कहा जाता है कि उस समय के साइंटिस्‍ट इस तरह की उड़ानों को आम बात जैसा बनाना चाहते थे, लेकिन उनसे आने वाले शोर यानी सोनिक बूम की वजह से ही जमीन पर ऐसी उड़ानों पर बैन लगा दिया गया। इसकी वजह शोर से संपत्तियों को पहुंचने वाला नुकसान था। बहरहाल, बदलती तकनीक के साथ इंजीनियर एक बार फ‍िर सुपरसोनिक स्‍पीड को आम विमानों में हकीकत बनते देखना चाहते हैं और इस बार उनकी तैयारी इससे आने वाले साउंड को दबाने की है। इंजीनियर ऐसे विमान को कई कम्‍युनिटीज के ऊपर से उड़ाते हुए यह देखना चाहते हैं कि लोग कम ध्‍वनि पर किस तरह से रिएक्‍ट करते हैं। 
 

 

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