रेत के बादल भी बनते हैं कई ग्रहों पर, स्पिट्जर टेलीस्कोप के डेटा से खुला राज!

वैज्ञानिकों के अनुसार जैसे बृहस्पति के वायुमंडल में अमोनिया और अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड से बने पीले-रंग के बादल हैं। उसी तरह अन्य ग्रहों में सिलिकेट से बने बादल होते हैं।

विज्ञापन
गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 14 जुलाई 2022 15:21 IST
ख़ास बातें
  • वैज्ञानिकों ने रेत के बादल बनने को समझने की कोशिश की
  • एक निश्चित तापमान के बीच ऐसे बादलोंं का निर्माण होता है
  • एक्‍सोप्‍लैनेट पर है ऐसे बादलों की मौजूदगी

वैज्ञानिकों की यह स्‍टडी रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के मंथली नोटिस में पब्लिश हुई है।

एक हालिया स्‍टडी के अनुसार हमारे ब्रह्मांड में कई एक्सोप्लैनेट (exoplanets) हैं, जिनमें धूल के कणों के बादल मौजूद हैं यानी इन्‍हें रेत के बादल भी कह सकते हैं। गौरतलब है कि ऐसे ग्रह जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं। अपनी सर्विस से रिटायर हो चुके स्पिट्जर टेलीस्कोप (Spitzer telescope) के वर्षों से जुटाए गए डेटा के रिव्‍यू में इन असामान्‍य बादलों की विशेषता का पता चलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार जैसे बृहस्पति के वायुमंडल में अमोनिया और अमोनियम हाइड्रोसल्फाइड से बने पीले-रंग के बादल हैं। उसी तरह अन्य ग्रहों में सिलिकेट से बने बादल होते हैं। सिलिकेट, चट्टान बनाने वाले मिनिरल्‍स की फैमिली से है जो पृथ्वी के क्रस्‍ट का 90 फीसदी से ज्‍यादा हिस्सा बनाते हैं।

वैज्ञानिकों की यह स्‍टडी रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के मंथली नोटिस में पब्लिश हुई है। इसमें वैज्ञानिकों ने उन परिस्थितियों को समझने की कोशिश की है, जिसकी वजह से माइक्रोस्‍कोपिक धूल के इन बादलों का निर्माण होता है और उनमें रेत की मौजूदगी होती है। 

वैज्ञानिकों को भूरे रंग के बौने तारों की परिक्रमा करने वाले कुछ ग्रहों के वातावरण में सिलिकेट बादलों के संकेत मिले। साल 2003 में लॉन्‍च हुए स्पिट्जर टेलीस्कोप ने अपने ऑपरेशन के पहले 6 साल में इनका डेटा जुटाया था। पता चला कि सिनिकेट बादलों की वजह तापमान है। इसी वजह से इन एक्सोप्लैनेट के वातावरण में बादल बनते हैं। विशेषज्ञों ने पाया कि जिन ग्रहों पर सिलिकेट के बादल बनते हैं, उन सभी का तापमान लगभग 1,000 डिग्री सेल्सियस और 1,700 डिग्री सेल्सियस के बीच था। यानी यह सिलिकेट बादलों के निर्माण के लिए आदर्श तापमान है। 

वैज्ञानिकों का कहना है कि रेत के इन बादलों में कोई मुख्‍य घटक होता होगा, जो बादलों के बनने में भूमिका निभाता होगा। यह पानी, अमोनिया, सल्‍फर या नमक कुछ भी हो सकता है। अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर वैज्ञानिकों को लगता है कि बृहस्पति के वायुमंडल में भी ऐसे गहरे बादल मौजूद है, जहां तापमान बहुत ज्‍यादा है। 

गौरतलब है कि पृथ्‍वी के बाहर जीवन की बात आती है, तो एक्‍सोप्‍लैनेटों पर भी वैज्ञानिकों की नजर जाती है। हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि विभिन्‍न परिस्थितियों में भी कई अरबों वर्षों तक लिक्विड वॉटर, एक्सोप्लैनेट की सतह पर मौजूद रह सकता है। बर्न यूनिवर्सिटी, ज्यूरिख यूनिवर्सिटी और नेशनल सेंटर ऑफ कॉम्पीटेंस इन रिसर्च (NCCR) के रिसर्चर्स ने समझाया है कि रहने योग्य एक्सोप्लैनेट की खोज के लिए इस दृष्टिकोण को समझना बहुत जरूरी है। 
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

द रेजिडेंट बोट । अगर आप मुझे ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Vivo V60 vs Oppo Reno 14 5G vs iQOO Neo 10: कंपेरिजन से जानें कौन है बेहतर?
#ताज़ा ख़बरें
  1. Google Pixel 10 vs OnePlus 13 vs Samsung Galaxy S25 5G: जानें कौन सा फोन है बेस्ट
  2. Gmail में किसी दूसरी भाषा में आया है ईमेल तो ऐसे करें तुरंत ट्रांसलेट, ऐप का ये फीचर ऐसे करता है काम
  3. Apple Watch नहीं होती तो क्या होता? हार्ट रेट अलर्ट के चलते ब्रेन ट्यूमर का पता चला, बच गई जान!
  4. Vivo V60 vs Oppo Reno 14 5G vs iQOO Neo 10: कंपेरिजन से जानें कौन है बेहतर?
  5. Realme P4 Pro 5G vs Vivo Y400 5G vs OnePlus Nord CE 5 5G: जानें 30 हजार में कौन है बेस्ट
  6. AI सुपरपावर रैंकिंग में अमेरिका टॉप पर, लेकिन भारत ने चीन को पछाड़ा
  7. भारत के लेटेस्ट वाटरप्रूफ स्मार्टफोन, नहीं होंगे पानी में भी खराब, जैसे मर्जी करें इस्तेमाल
  8. हाथ में iPad, बॉडी पर कैमरा, अब बिहार पुलिस बनेगी Digital Police! देखिए कैसे बदलेगा पूरा सिस्टम
  9. Honor की Magic 8 सीरीज के लॉन्च की तैयारी, 4 मॉडल हो सकते हैं शामिल
  10. ऑनलाइन मनी गेमिंग पर बैन के खिलाफ कोर्ट जा सकती हैं बड़ी गेमिंग कंपनियां
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.