अंतरिक्ष की गहराई का कोई अंत नहीं है, लेकिन अंतरिक्ष वैज्ञानिक अब इसे काफी दूर तक देख पाने में सक्षम हो गए हैं। हमारे सौरमंडल में ही इतनी खगोलीय घटनाएं होती रहती हैं जो कई बार वैज्ञानिकों को भी हैरान कर जाती हैं। सौरमंडल को प्लेनेटरी सिस्टम भी कहा जाता है जो मिल्की वे आकाशगंगा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। सौरमंडल में 8 ग्रह हैं, और 5 ड्वार्फ प्लेनेट हैं। इसमें 200 से ज्यादा चंद्रमा बताए जाते जाते हैं और 12 लाख 98 हजार 368 (12,98,368) एस्टरॉयड मौजूद हैं। ये सभी गुरुत्वाकर्षण बल के चलते सूर्य के इर्द गिर्द चक्कर काट रहे हैं।
यूं तो
सौरमंडल में दो खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी कक्षा के अनुसार निर्धारित रहती है। लेकिन एस्टरॉयड और उल्का पिंड की दिशा में कई बार बदलाव आ जाता है, और इसका कारण है उसकी ग्रेविटी से ज्यादा किसी बड़े ग्रह की ग्रेविटी का मौजूद होना। गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आकर ये अपनी दिशा बदल सकते हैं। जब कोई
एस्टरॉयड पृथ्वी से 75 लाख किलोमीटर से ज्यादा करीब आ जाता है तो नासा की
जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी अलर्ट जारी करती है। आज भी नासा ने 2 एस्टरॉयड के लिए अलर्ट जारी किया है। इनमें से एक चट्टान आज धरती के करीब आने वाली है, जबकि दूसरी अगले 24 घंटे में धरती के पास पहुंचने वाली है। आइए जानते हैं नासा इनसे हो सकने वाले खतरे के बारे में क्या कहती है।
एस्टरॉयड 2023 NP (
asteroid 2023 NP) के लिए नासा ने आज अलर्ट जारी किया है। यह एक 65 फीट का एस्टरॉयड है जो आज धरती की ओर बढ़ रहा है। इसका आकार एक बड़े मकान जितना कहा गया है। यह एस्टरॉयड Aten ग्रुप से संबंधति बताया जाता है। यह धरती से 5,000,000 किलोमीटर के लगभग दूरी तक आने वाला है। इसकी स्पीड 29660 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
2062 Aten एस्टरॉयड के बाद इनका नाम पड़ा था। इस ग्रुप के पहले एस्टरॉयड को 7 जनवरी 1976 को देखा गया था। यह बिजली की तेजी से धरती की ओर बढ़ रहा है और आज बेहद करीब से होकर गुजरने वाला है। हालांकि नासा ने इसके लिए टकराने जैसी सूचना जारी नहीं की है। एस्टरॉयड 2023 NY(
asteroid 2023 NY) के लिए भी नासा ने अलर्ट जारी किया है। यह एक 45 फीट का एस्टरॉयड है जो अगले 24 घंटों में धरती के करीब से होकर गुजरने वाला है। यह धरती के करीब 44.2 लाख किलोमीटर तक आने वाला है। हालांकि यह भी साइज में काफी छोटा है। नासा ने इसके लिए भी टकराने जैसी कोई सूचना जारी नहीं की है।
नासा लगातार एस्टरॉयड पर नजर रखती है, साथ ही अंतरिक्ष वैज्ञानिक इनका अध्य्यन भी कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये उसी पदार्थ के बने हैं जिससे कि हमारा पूरा सौरमंडल बना हुआ है, इसलिए इनकी स्टडी करना बड़े राज खोल सकता है। 4.6 अरब साल से अस्तित्व में मौजूद ये
चट्टानी टुकड़े कई बार पृथ्वी के इतने करीब आ जाते हैं कि इनका टकराने का खतरा पैदा हो जाता है। उल्का पिंड भी इन्हीं के छोटे टुकड़े बताए जाते हैं, जो अक्सर धरती पर गिरते रहते हैं।