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मिस्र के रेगिस्‍तान में मिला ‘परग्रही’ पत्‍थर हाइपेटिया सुलझाएगा सुपरनोवा का रहस्‍य!

एक्‍सपर्ट की कल्‍पना है कि हाइपेटिया पत्थर की उत्पत्ति एक तारे से हुई है।

मिस्र के रेगिस्‍तान में मिला ‘परग्रही’ पत्‍थर हाइपेटिया सुलझाएगा सुपरनोवा का रहस्‍य!

यह फाइंडिंग्‍स Icarus जरनल में पब्लिश हुई हैं।

ख़ास बातें
  • मिस्र के रेगिस्तान में मिला था यह पत्‍थर
  • यह कहां से आया, इस पर रिसर्च जारी है
  • इसी कड़ी में सुपरनोवा से इसके आने की कल्‍पना भी है
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जब किसी तारे में विस्‍फोट होता है, तो वह बहुत अधिक चमकदार हो जाता है। इसे सुपरनोवा (supernova) कहते हैं। यह अंतरिक्ष में किसी तारे में होने वाले रहस्यमयी और चमकदार विस्फोटों में से एक है। हकीकत में सुपरनोवा इतने बड़े विस्‍फोट हैं, जिन्‍हें इंसानों ने देखा है। यह इतने बड़े एरिया को कवर करते हैं कि विस्‍फोट देखने के लिए दूरबीन की जरूरत होती है। सुपरनोवा आमतौर पर तब होता है, जब कोई विशालकाय तारा अपने विकास के आखिरी चरणों में पहुंचता है यानी वह बूढ़ा हो जाता है। इन घटनाओं को समझने के लिए कई स्‍टडी की जा रही हैं। रिसर्चर्स को उम्मीद है कि मिस्र के रेगिस्तान में मिला एक ‘परग्रही' पत्थर इन शानदार घटनाओं पर कुछ रोशनी डालने में मदद कर सकता है। इस पत्थर का नाम हाइपेटिया (Hypatia) है।

दक्षिण अफ्रीका की जोहान्सबर्ग यूनिवर्सिटी समेत अन्‍य रिसर्चर्स का मानना ​​है कि यह पत्थर टाइप IA सुपरनोवा का पहला ठोस सबूत है। साल 2013 के बाद से कुछ वैज्ञानिकों ने हाइपेटिया के छोटे से टुकड़े में बेहद असामान्य कैमिस्‍ट्री के सुराग खोजे हैं। एक्‍सपर्ट की कल्‍पना है कि हाइपेटिया पत्थर की उत्पत्ति एक तारे से हुई है। अनुमान है कि एक विशाल लाल तारा एक छोटे सफेद तारे पर गिरा और एक लेवल पर जाकर वाइट तारे में विस्‍फोट हो गया। यह टाइप Ia सुपरनोवा विस्‍फोट था। 

प्रोजेक्‍ट के एक रिसर्चर- जान क्रैमर्स ने बताया कि अगर यह परिकल्पना सही है, तो हाइपेटिया पत्थर पृथ्वी पर टाइप Ia सुपरनोवा विस्फोट का पहला ठोस सबूत होगा। यह फाइंडिंग्‍स Icarus जरनल में पब्लिश हुई हैं। 

साल 2013 में एक स्‍टडी से पता चला था कि यह पत्‍थर पृथ्वी पर नहीं बना था। 2015 की एक स्‍टडी ने संकेत दिया था कि यह पत्‍थर किसी उल्कापिंड या धूमकेतु से पैदा नहीं हुआ है। तीन साल बाद रिसर्चर्स की टीम ने कई एनालिसिस प्रकाशित किए। उन्‍हें पत्‍थर में ऐसे तत्‍व मिले जो आज से पहले हमारे सौर मंडल की किसी चीज में नहीं पाए गए थे। 

लंबी रिसर्च के बाद टीम इस नतीजे पर पहुंची है कि इस पत्‍थर का अस्तित्व सिर्फ टाइप IA सुपरनोवा में हो सकता है। ऐसी घटनाएं किसी आकाशगंगा में एक या दो बार होती हैं। 

 
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