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पृथ्वी से 1 लाख 60 हजार प्रकाश वर्ष दूर हुई ‘आतिशबाजी’, जानें इस तस्‍वीर की पूरी कहानी

Supernova image : हबल टेलीस्‍कोप ने इस तस्‍वीर को हमारी आकाशगंगा की एक सैटेलाइट आकाशगंगा लार्ज मैग्‍नेटिक क्‍लाउड में खोजा था।

पृथ्वी से 1 लाख 60 हजार प्रकाश वर्ष दूर हुई ‘आतिशबाजी’, जानें इस तस्‍वीर की पूरी कहानी

Supernova image : जब कोई तारा अपने जीवन के आखिरी वक्‍त में पहुंचता है, तो उसमें शक्तिशाली विस्‍फोट होता है। इसे सुपरनोवा कहते हैं।

ख़ास बातें
  • लार्ज मैग्‍नेटिक क्‍लाउड से सामने आई तस्‍वीर
  • यह हमारी आकाशगंगा की एक सैटेलाइट गैलेक्‍सी है
  • हबल स्‍पेस टेलीस्‍कोप की मदद से मुमकिन हुई तस्‍वीर
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) का हबल टेलीस्‍कोप (Hubble Space Telescope) बीते करीब 30 वर्षों से हमें ब्रह्मांड की अद्भुत तस्‍वीरों से रू-ब-रू करवा रहा है। टेलीस्‍कोप की मदद से वर्षों पहले सामने आई एक तस्‍वीर का नया रूप सामने आया है। इसमें दिख रही रंगीन आतिशबाजी असल में एक तारे की हिंसक मौत है। हबल टेलीस्‍कोप ने इस तस्‍वीर को हमारी आकाशगंगा (Milky Way) की एक सैटेलाइट आकाशगंगा लार्ज मैग्‍नेटिक क्‍लाउड से जुटाने में मदद की है। तस्‍वीर बताती है कि जब कोई तारा अपने जीवन के आखिरी वक्‍त में पहुंचता है, तो उसमें शक्तिशाली विस्‍फोट होता है। इस स्थिति को सुपरनोवा कहते हैं। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह अवशेष डीईएम एल 19 नाम के तारे के हैं, जो पृथ्वी से लगभग 160,000 प्रकाश-वर्ष दूर डोरैडो तारामंडल में स्थित हैं। यह लार्ज मैग्‍नेटिक में मौजूद सबसे चमकीले सुपरनोवा में से एक है। ध्‍यान देने वाली बात है कि इस विस्‍फोट से निकली लाइट हजारों साल पहले पृथ्‍वी पर आ गई होगी। सुपरनोवा ने जिन मटीरियल्‍स को रिलीज किया है, वह नई जेनरेशन के तारों का निर्माण करने में सहायक होंगे।  

हालांकि वैज्ञानिकों को लगता है कि इस आतिशबाजी की आड़ में कोई न्‍यूट्रॉन स्‍टार छुपा हुआ है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्‍यमान के बराबर या उससे भी ज्‍यादा हो सकता है। हबल टेलीस्‍कोप ने जब इस ऑब्‍जेक्‍ट को टटोला, तो पता चला कि यह हर 8 सेकंड में एक बार घूम रही है। इसका चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर की तुलना में लगभग एक क्वाड्रिलियन गुना अधिक मजबूत है।

खगोलविदों ने 1979 में इस न्यूट्रॉन तारे की खोज की थी। तब से इसने कई बार गामा-रे का उत्सर्जन किया है। मौजूदा इमेज को डीईएम एल 19 के दो अलग-अलग डेटा का इस्‍तेमाल करके तैयार किया गया। इसमें हबल स्पेस टेलीस्कॉप के वाइड फील्ड प्लैनेटरी कैमरा 2 की मदद भी ली गई। यह कैमरा अब रिटायर हो गया है। पहले डेटा की मदद से वैज्ञानिक यह समझना चाहते थे कि सुपरनोवा के अवशेष तारों की कमजोर धूल से कैसे इंटरेक्‍ट करते हैं। यानी वैज्ञानिक यह समझना चाह रहे थे कि कैसे धूल और गैस, सुपरनोवा के अवशेषों को डेवलप करते हैं और इसकी संरचना में बदलाव लाते हैं। दूसरे डेटा का मकसद इनमें छुपी गामा-रे को स्‍टडी करना था। 

यह पहली बार नहीं जब DEM L 190 की हैरान करने वाली तस्‍वीर सामने आई है। साल 2003 में वैज्ञानिकों ने इस सुपरनोवा के अवशेषों को धुएं और चिंगारी के रूप में दिखाया था। नई छवि और बेहतर बनाई गई है। मौजूदा तकनीक की मदद से पुरानी इमेज को अपग्रेड करके पेश किया गया है। 
 

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