एस्टरॉयड्स (Asteroids) का पृथ्वी के करीब आना जारी है। यह सिलसिला नए साल में भी चलता रहेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने बताया है कि कमर्शल एयरोप्लेन के जितना बड़ा एक एस्टरॉयड हमारी पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। यह पृथ्वी के बहुत करीब से होकर गुजरेगा, जिस वजह से नासा ने इसे ‘संभावित रूप से खतरनाक' की कैटिगरी में रखा है। एस्टरॉयड, अंतरिक्ष में घूमने वाली चट्टानें हैं जो समय-समय पर हमारे ग्रह के करीब से होकर भी गुजरती हैं। वैज्ञानिक इनकी दिशा को मॉनिटर करते रहते हैं। अगर कोई एस्टरॉयड पृथ्वी से टकरा जाए, तो तबाही मचा सकता है। कहा जाता है कि करोड़ों साल पहले हमारी धरती से डायनासोर का खात्मा भी एक एस्टरॉयड के टकराने के कारण हुआ था।
जानकारी के
अनुसार, (2022 YR1) नाम का एक एस्टरॉयड 1 जनवरी 2023 को हमारी पृथ्वी के करीब आएगा। जब यह पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा, तब दोनों के बीच की दूरी घटकर 38 लाख 80 लाख किलोमीटर रह जाएगी। (2022 YR1) का साइज लगभग 72 फीट है। यह किसी एयरोप्लेन के जितना बड़ा है। एस्टरॉयड्स के अपोलो ग्रुप से ताल्लुक रखने वाले इस एस्टरॉयड को इसी साल खोजा गया है।
एस्टरॉयड को लघु ग्रह भी कहा जाता है। जैसे हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, उसी तरह एस्टरॉयड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। एस्टरॉयड को तीन वर्गों- सी, एस और एम टाइप में बांटा गया है। सी-टाइप (चोंड्राइट chondrite) एस्टरॉयड सबसे आम हैं। ये संभवतः मिट्टी और सिलिकेट चट्टानों से बने होते हैं और दिखने में गहरे रंग के होते हैं। ये सौर मंडल की सबसे पुरानी चीजों में एक हैं। एस टाइप के एस्टरॉयड सिलिकेट मटीरियल और निकल-लौह से बने होते हैं। वहीं एम टाइप एस्टरॉयड मैटलिक (निकल-लौह) हैं। इनकी संरचना सूर्य से दूरी पर निर्भर करती है।
एस्टरॉयड जब पृथ्वी के नजदीक आते हैं, तब वैज्ञानिक इनके और ग्रह के बीच की दूरी का पता लगाते हैं। यह काम सैटेलाइट और रडार की मदद से होता है। ज्यादातर एस्टरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मेन एस्टरॉयड बेल्ड में परिक्रमा करते हैं, लेकिन कई एस्टरॉयड की कक्षाएं ऐसी होती हैं, जो पृथ्वी के नजदीक से गुजरती हैं। पृथ्वी के कक्षीय पथ को पार करने वाले एस्टरॉयड को अर्थ-क्रॉसर्स के रूप में जाना जाता है।