क्रिप्टोकरेंसी के बाजार की प्रतिदिन बदलती स्थिति को देखकर निश्चित रूप से डिजिटल मनी के भविष्य का अनुमान लगाना सरल नहीं है। किंतु फिर भी बड़े से बड़े और छोटे से छोटे देश भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर गंभीर होना शुरू हो गए हैं। जहां एक और चीन और जापान जैसे तकनीकी रूप में उन्नत देश क्रिप्टो को लेकर सीमाएं बांध रहे हैं तो दूसरी ओर अल सल्वाडोर जैसे देश अपनी अर्थव्यवस्था में इसका बाहें खोलकर स्वागत कर रहे हैं।
अगर सिर्फ एशियाई देशों की बात की जाए तो केवल चीन और भारत एकमात्र एशियाई देश नहीं हैं जो अपने देश में क्रिप्टोकरेंसी के भाग्य से जूझ रहे हैं। फिलीपींस और वियतनाम जैसे छोटे खिलाड़ी भी इस क्षेत्र में कदम रख रहे हैं और साथ ही डिजिटल टोकन की लोकप्रियता में भी वृद्धि जारी है।
फिलीपींस स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी एक परिसंपत्ति वर्ग है जिसे वे अब और अनदेखा नहीं कर सकते। उनका मानना है कि क्रिप्टो ढांचे को मौजूदा एक्सचेंज में लाना विदेशी एक्सचेंजों पर व्यापार करने वाले लोगों की तुलना में अधिक सुरक्षित होगा इस बीच, वियतनाम के प्रधान मंत्री फाम मिन्ह चिन्ह (Pham Minh Chinh ) ने कथित तौर पर देश के केंद्रीय बैंक से क्रिप्टोकरेंसी पर स्टडी करने के लिए कहा है ताकि सरकार 2021 से 2023 तक अपना पायलट प्रोग्राम चला सके।
इन दोनों देशों ने पिछले एक साल में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करने वाले अपने नागरिकों में भारी वृद्धि देखी है।
Statista Global Consumer Survey के नतीजों के मुताबिक, नाइजीरिया के बाद उनके पास दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी उपयोग की उच्चतम दर है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सहित दुनिया भर के केंद्रीय बैंक फिएट करेंसी के लिए ब्लॉकचेन-आधारित कार्यान्वयन पर विचार कर रहे हैं। वहीं Pham Minh Chinh का निर्णय उसी के आसपास हो सकता है। उन्होंने बैंक से वियतनाम की ई-सरकार विकास रणनीति (e-Government development strategy) के हिस्से के रूप में डिजिटल करेंसी पर विचार करने को कहा है।
India and China About CryptoCurrencies
भले ही फिलीपींस और वियतनाम एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए मंच तैयार करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, मगर उनके रेगुलेटरी निर्णय महाद्वीप की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के खिलाफ जा रहे हैं। चीन के अलावा भारत भी एक ऐसे बिल/विधेयक पर विचार कर रहा है जो अपनी सीमाओं के भीतर डिजिटल करेंसी को नियंत्रित करेगा।
मई में आरबीआई द्वारा उधारदाताओं को अनौपचारिक गाइडेंस जारी करने के बाद से भारत में एक्सचेंजों को परिचालन करने में परेशानी हो रही है, जिसके कारण उन्हें देश के कुछ सबसे बड़े एक्सचेंजों से सेवाएं वापस लेनी पड़ीं। चीन ने भी बड़े क्रिप्टो खनिकों और एक्सचेंजों को लेकर इसी तरह के
कदम उठाए हैं ताकि वे इस बात पर पुनर्विचार कर सकें कि वे कैसे व्यापार करते हैं। यदि चीन और भारत में क्रिप्टो बैन जैसी स्थिति देखने को मिलती है तो फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश एशिया में क्रिप्टोबाजार के लिए स्वर्ग बन जाएँगे।