अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टीव बेनन को मुख्य रणनीतिकार बनाया है। अब पता चला है कि स्टीव बेनन सिलिकॉन वैली में अहम पद संभाल रहे एशियाई मूल के लोगों को लेकर सहज नहीं हैं। इसका खुलासा
अमेरिकी मीडिया के सामने आए बेनन के एक इंटरव्यू से हुआ।
दरअसल, 62 वर्षीय बेनन ने पिछले साल रेडियो पर ट्रंप का इंटरव्यू लिया था। इस दौरान ट्रंप ने कहा था कि टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ाई पूरी करने के बाद कई छात्र घर लौट जा रहे हैं।
ट्रंप ने कहा, "हमें महान लोगों को देश में रखने का सक्षम बनना होगा। हमेंरोजगार के अवसर पैदा करने होंगे। उन्होंने आगे कहा, "हमें अपने प्रतिभाशाली लोगों को इस देश में ही रखना होगा।"
इस पर स्टीव बेनन ने प्रतिक्रिया दी कि जब सिलिकॉन वैली में दो तिहाई या तीन चौथाई सीईओ दक्षिण एशिया या एशिया के हों। तो मेरा मानना है... वे आगे बोले, "देश अर्थव्यवस्था से बड़ी होती है। हम एक सिविक सोसाइटी हैं।"
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टेक्नोलॉजी वेबसाइट वर्ज का मानना है कि वह इशारों में सिविक सोसाइटी के जरिए सफेद राष्ट्रवादी पहचान का ज़िक्र कर रहे थे।
बता दें कि पिछले साल मई में जारी किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया था कि एशियाई शख्स की तुलना में गोरे लोगों के सीईओ बनने की संभावना 149 फीसदी ज़्यादा है। सर्वे के मुताबिक, सिलिकॉन वैली के एक तिहाई कमर्चारी एशिया के हैं। एशियाई मूल के लोगों की मैनेजमेंट में 20 फीसदी हिस्सेदारी है। और सिर्फ 14 फीसदी सीईओ के पद पर हैं।
इसके बावजूद कुछ भारतीय सिलिकॉन वैली में अहम पदों तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, सिलिकॉन वैली के सीईओ में से 15 प्रतिशत भारत के हैं। और इनमें से दो तो दुनिया की दो सबसे बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं- माइक्रोसॉफ्ट और गूगल। 2014 में माइक्रोसॉफ्ट ने हैदराबाद के सत्या नडेला को कंपनी सीईओ बनाया था। वह कंपनी के साथ 22 साल से जुड़े हुए हैं।
वहीं, पिछले साल जब गूगल ने अल्फाबेट कंपनी का गठन किया तब सुंदर पिचाई को गूगल का सीईओ बनाया गया। सुंदर पिचाई तमिलनाडु के हैं। वह गूगल के साथ 2004 से जुड़े हुए हैं।