ओपिनियन

Android ही है 'मेरा वाला' ऑपरेटिंग सिस्टम

Android ही है 'मेरा वाला' ऑपरेटिंग सिस्टम
विज्ञापन
पिछले 6 साल से स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहा हूं। शुरुआत ब्लैकबेरी (Blackberry) के महंगे डिवाइस से की, फिर सस्ते के चक्कर में लूमिया (Lumia) हैंडसेट खरीद लिया। आखिर में कारवां एंड्रॉयड (Android) डिवाइस पर रुका। वैसे यह मेरी आखिरी मंजिल नहीं। एक बार ऐप्पल (Apple) के आईफोन (iPhone) पर हाथ ज़रूर आज़माना चाहूंगा। फिलहाल मेरा बजट इसकी इजाज़त नहीं देता।

वैसे बजट एक मात्र कारण नहीं है कि जिस वजह से मैं iPhone या फिर किसी अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के डिवाइस का इस्तेमाल नहीं कर रहा। मैं अपने Android फोन से खुश हूं, बहुत हद तक संतुष्ट भी। कुछ लोग मुझे भेड़ चाल का हिस्सा बता सकते हैं, पर मेरे लिए पैसे के मामले में खतरा उठाने से बेहतर टिकाऊ रास्ता ज्यादा सुगम है। वैसे मोबाइल इस्तेमाल करते हुए मुझे करीब 10 साल से ऊपर का वक्त बीत चुका है। मेरी शुरुआत भी अन्य लोगों की तरह फ़ीचर फोन से हुई थी। उस वक्त पढ़ाई करता था इसलिए कभी स्मार्ट डिवाइस की जरूरत नहीं पड़ी। नौकरी के साथ जरूरतें बदलीं और मेरी चाहत भी। मेरे लिए फीचर फोन से स्मार्टफोन तक का सफ़र कुछ वैसा ही रहा है जैसा कि किसी मोबाइल डिवाइस के लिए फीचर से स्मार्ट का सफ़र।

हमारे मोबाइल के फ़ीचर फोन से स्मार्टफोन बनने का सफ़र ऑपरेटिंग सिस्टम के कारण संभव हो पाया। ऐसा नहीं है कि पुराने फोन में कोई ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था। यह पहले से मौजूद रहा है, लेकिन ये उतने स्मार्ट नहीं थे जितने की आज हैं। तभी तो हम अपने मोबाइल को स्मार्टफोन बुलाते हैं।
 
android mascots reuters
 
हम अक्सर अपनी जरूरत के हिसाब से मोबाइल खरीदते हैं। इस दौरान बजट और कंपनी का खास ख्याल रखते हैं। पर अहम सवाल यह है कि क्या आपका स्मार्टफोन आपकी जरूरतें पूरी कर पा रहा है। ज्यादातर मौकों पर ऐसा नहीं होता। यानी गलती फोन चुनते वक्त ही हुई। आपने बजट और कंपनी के बारे में इतना ज्यादा सोच लिया कि ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में बिल्कुल ही भूल गए।

ऑपरेटिंग सिस्टम किसी भी डिवाइस की लाइफलाइन है। बोलचाल की भाषा में कहें तो मोबाइल के वार-व्यवहार का तरीका भी। यानी आपका यूज़र बिहेवियर बहुत हद तक ऑपरेटिंग सिस्टम से तय होता है। मेरे हिसाब से मोबाइल इस्तेमाल करने का अनुभव बदलते रहना चाहिए ताकि रुचि बनी रहे। इस मामले में Android बाजी मार जाता है, क्योंकि इसमें कस्टमाइजेशन का ऑप्शन उपलब्ध है। कई हार्डवेयर कंपनियां Android के सोर्स कोड का इस्तेमाल करके अपना कस्टमाइज्ड ऑपरेटिंग सिस्टम डेवलप कर लेती हैं। ये खासियत ना तो विंडोज फोन में है और iPhone की तो बात ही दूसरी है।

फोन कॉल के अलावा मैं अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल अलग-अलग किस्म के ऐप के लिए करता हूं।  इस मामले में भी Android का कोई सानी नहीं। और ऐप्स मुफ्त मिले तो सोने पर सुहागा। जितने ज्यादा हों वही बेहतर। मेरा तो हर किसी को यही सुझाव होता है कि एक बार Google Play स्टोर पर तो जाओ। मैं अपने एंड्रॉयड फोन पर साइड लोडिंग भी कर पाता हूं। माना कि इसमें सिक्योरिटी रिस्क है, पर कई मामलों में फायदेमंद तो भी है।

वैसे सबसे बड़ी फायदे की बात तो पैसे की होती है। आपके पास चाहे कितना भी पैसा हो, आप  Android फैमिली का हिस्सा बन ही जाएगा। कोई भी सामान्य यूज़र सबसे पहले अपना बजट निर्धारित करता है। मेरे लिए स्थिति कुछ अलग नहीं है। आज की तारीख में मार्केट में हर प्राइस रेंज का Android फोन मौजूद हैं। शुरुआत करीब 3,500 रुपये से हो जाएगी और महंगे के मामले में Samsung Galaxy S6 Edge जैसे फोन iPhone को भी टक्कर देते हैं। यानी बजट तय करें, Android फोन तो मिल ही जाएगा।

जब पैसा लगाया है तो आप ब्रांड भी चाहोगे। HTC, Samsung, Sony, LG और भी कई हैं, जो Android बेस्ड स्मार्टफोन बनाते हैं। ये तो बड़े नाम हैं, अगर हर कंपनी का जिक्र किया जाए तो नाम ही लिखने में 1000 शब्द लग जाएं। जितनी ज्यादा कंपनियां प्रतिस्पर्धा उतनी ही ज्यादा। एक-दूसरे को पछाड़ने के चक्कर में ये कंपनियां हर बार कुछ नया और ज्यादा बेहतर ऑफर देती हैं। कस्टमर होने के नाते मैं इससे ज्यादा क्या चाहूंगा।
 

 मैं ज्यादातर काम हिंदी में करता हूं इसलिए सबसे पहले हिंदी टाइपिंग सिखी थी। डेस्कटॉप पर तो यह मेरे लिए सबसे आसान काम है, पर किसी मोबाइल डिवाइस इसी कीबोर्ड-लेआउट को इस्तेमाल कर पाना लगभग नामुमकिन है। Google ने मेरे इस समस्या का भी हल निकाला है। बस Google Hindi Input कीबोर्ड का इस्तेमाल करो आउटपुट हिंदी में मिलता रहेगा। जैसे 'Android' टाइप करने पर आउटपुट 'एंड्रॉयड' मिलता है।

ऐसा नहीं है कि Android ऑपरेटिंग सिस्टम में कोई कमी नहीं है। पर इसमें इतनी खूबियां हैं कि कमियों को नजरअंदाज किया जा सकता है। बजट, ब्रांड और परफॉर्मेंस, जब हर डिपार्टमेंट में मैं संतुष्ट हूं तो Android को 'मेरा वाला' ऑपरेटिंग सिस्टम बताना गलत नहीं होगा।
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े:
Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. iQOO 14 Pro पर चल रहा काम, Samsung OLED डिस्प्ले के साथ देगा दस्तक!
  2. IND vs ENG T20I Live: भारत-इंग्लैंड के बीच आज पहले T20I मैच में होगा घमासान! यहां देखें फ्री!
  3. TCL K7G Plus स्मार्ट डोर लॉक लॉन्च, 3D फेशियल रिकग्निशन के साथ 5-6 महीने चलेगी बैटरी
  4. Nothing Phone (3) का दिखा टीजर, स्पेशल एडिशन के साथ होगा लॉन्च!
  5. iPhone 17 सीरीज में बदल जाएगा फोन का डिजाइन! तस्वीरें लीक
  6. MicroStrategy ने बढ़ाई बिटकॉइन की होल्डिंग, 1 अरब डॉलर से ज्यादा का किया इनवेस्टमेंट 
  7. महाकुंभ में परिवहन के लिए इस्तेमाल होंगे ओला इलेक्ट्रिक के 1,000 इलेक्ट्रिक स्कूटर्स
  8. बेहद पतला होने के बाद भी Oppo Find N5 फोल्डेबल फोन में मिलेगा वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट, कंपनी ने शेयर किया वीडियो
  9. Infinix Smart 9 HD भारत में 28 जनवरी को होगा लॉन्च! डिजाइन और स्पेसिफिकेशन्स भी हुए लीक
  10. अपकमिंग OnePlus स्मार्टफोन्स में मिलेगा बिल्कुल नया डिजाइन, मटेरियल और बनाने का तरीका भी बदला जाएगा!
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »