देश के टेलीकम्युनिकेशंस सेक्टर को केंद्र सरकार तेजी से आगे बढ़ाना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिजिटल महत्वकांक्षाओं के लिए भी यह टेलीकम्युनिकेशंस इंडस्ट्री महत्वपूर्ण है। हालांकि, देश में दशकों पुराने टेलीकॉम कानून इस सेक्टर की प्रगति में रुकावट बन रहे हैं। इससे इस सेक्टर से जुड़े कानूनों मामलों की संख्या भी बढ़ी है।
Bloomberg की
रिपोर्ट में टेलीकम्युनिकेशंस मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने हवाले से कहा गया है कि सरकार कंपनियों के मर्जर, एक्सपैंशन और उन्हें ऑपरेट करने के लिए ब्यूरोक्रेसी से जुड़े कई अप्रूवल को समाप्त करने के रास्ते खोज रही है। इससे इस सेक्टर से जुड़े कानूनी विवादों से बचने में भी मदद मिलेगी। सरकार अगले वर्ष फरवरी में नए टेलीकॉम कानून प्रस्तुत कर सकती है। वैष्णव ने कहा, "टेलीकॉम सेक्टर के लिए अभी भी 1885 में बना एक एक्ट लागू है, जबकि स्थितियों में काफी बदलाव हो चुका है। इसके अलावा इस कानून से जुड़े रेगुलेशंस भी 60-70 वर्ष पुराने हैं।" वह ब्रिटिश राज में बनाए गए इंडियन टेलीग्राफ एक्ट का जिक्र कर रहे थे जिससे सरकार को इस सेक्टर पर पूरा नियंत्रण मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस सेक्टर से जुड़े कानूनों में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है।
जुलाई में इलेक्ट्रॉनिक्स, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कम्युनिकेशंस मिनिस्ट्रीज की कमान संभालने वाले वैष्णव ने दुनिया की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ सरकार के तनाव को दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने कर्ज के भारी बोझ का सामना कर रही देश की टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत पैकेज लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरर्स को भी देश में प्लांट लगाने के लिए प्रोत्साहन देने की घोषणा की थी।
देश में टेलीकॉम सर्विस के
यूजर्स की संख्या एक अरब से अधिक है। इस मार्केट की जरूरतों को पूरा करने के लिए टेलीकॉम इंडस्ट्री की ग्रोथ महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा 5G नेटवर्क को लागू करने के लिए भी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा योगदान देना होगा। चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में पहले से 5G नेटवर्क के जरिए टेलीकॉम सर्विसेज दी जा रही हैं।
वैष्णव ने कहा कि सरकार टैरिफ के लिए बेस प्राइस तय नहीं करेगी। यह फैसला कंपनियों पर छोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य अगले वर्ष की अंतिम तिमाही तक 5G सर्विसेज शुरू करने का है। सेमीकंडक्टर्स की दुनिया भर में कमी हो रही है और इसकी देश में मैन्युफैक्चरिंग शुरू होने काफी फायदा होगा। इससे मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स तक में इस्तेमाल होने वाले इस महत्वपूर्ण कंपोनेंट के इम्पोर्ट पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा।
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