देश में बढ़ेगी इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग, सरकार देगी 5 अरब डॉलर के इंसेंटिव्स

इस स्कीम को इलेक्ट्रॉनिक्स मिनिस्ट्री ने तैयार किया है। मिनिस्ट्री ने इसके लिए कंपोनेंट्स की पहचान भी की है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 22 नवंबर 2024 20:38 IST
ख़ास बातें
  • इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स के कंपोनेंट की लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर जोर होगा
  • पिछले कुछ वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है
  • केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के उपाय किए हैं

इस स्कीम को दो से तीन महीनों में लॉन्च किया जा सकता है

पिछले कुछ वर्षों में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है। केंद्र सरकार ने इस सेक्टर की कंपनियों को लैपटॉप्स से लेकर स्मार्टफोन्स के लिए कंपोनेंट्स की लोकल मैन्युफैक्चरिंग करने पर पांच अरब डॉलर (लगभग 42,221 करोड़ रुपये) के इंसेंटिव्स देने की योजना बनाई है। इससे चीन से होने वाली सप्लाई को घटाया जा सकेगा। 

पिछले छह वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग दोगुने से अधिक बढ़कर लगभग 115 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इसमें अमेरिकी डिवाइसेज मेकर Apple और दक्षिण कोरिया की Samsung के स्मार्टफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग में ग्रोथ का बड़ा योगदान है। दुनिया में भारत चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन्स का सप्लायर बन गया है। हालांकि, स्मार्टफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग में चीन से इम्पोर्ट होने वाले कंपोनेंट्स का काफी इस्तेमाल होता है। इस बारे में जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने बताया, "नई स्कीम से प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स जैसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।" 

इस स्कीम को दो से तीन महीनों में लॉन्च किया जा सकता है। इसमें पात्र भारतीय या इंटरनेशनल कंपनियों को चार-पांच अरब डॉलर के इंसेंटिव्स की पेशकश की जाएगी। इस स्कीम को इलेक्ट्रॉनिक्स मिनिस्ट्री ने तैयार किया है। मिनिस्ट्री ने इसके लिए कंपोनेंट्स की पहचान भी की है। इस बारे में टिप्पणी के लिए भेजे गए निवेदन का फाइनेंस मिनिस्ट्री और इलेक्ट्रॉनिक्स मिनिस्ट्री ने उत्तर नहीं दिया। सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने बताया है कि 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाकर लगभग 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य है। इसमें लगभग 150 अरब डॉलर डॉलर की कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग शामिल है। 

पिछले वित्त वर्ष में देश में 89 अरब डॉलर से अधिक इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम इक्विपमेंट और इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट्स का इम्पोर्ट किया गया था। इसमें से आधे से अधिक इम्पोर्ट चीन और हांगकांग से हुआ था। एपल ने iPhone की मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन पर अपनी निर्भरता घटाने की तैयारी की है। इसके लिए कंपनी की भारत में अपनी सप्लाई चेन बनाने की योजना है। पिछले कुछ वर्षों से एपल ने चीन में अपनी मैन्युफैक्चरिंग का कुछ हिस्सा अन्य देशों में शिफ्ट करने पर कार्य किया है। देश में पिछले वित्त वर्ष में कंपनी का रेवेन्यू लगभग 36 प्रतिशत बढ़कर 67,121 करोड़ रुपये से अधिक का था। एपल की सेल्स में आईफोन्स की बड़ी हिस्सेदारी है। 
 

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