iOS 26.2 बीटा 3 में Apple एक नया बदलाव टेस्ट कर रहा है, जिसके तहत जापान के यूजर्स साइड बटन से Siri की जगह किसी थर्ड-पार्टी वॉयस असिस्टेंट को एक्टिव कर पाएंगे।
पिछले एक साल में AI वॉयस असिस्टेंट्स की दुनिया में जबरदस्त उछाल आया है। Google का Gemini और OpenAI का ChatGPT अब ऐसे लेवल पर पहुंच चुके हैं कि जटिल से जटिल सवाल को भी मिनटों में सुलझा देते हैं। इसी बीच Apple की Siri धीरे-धीरे पीछे छूटती दिख रही है। अब क्यूपरटीनो-स्थित टेक कंपनी आखिरकार इस दौड़ में बराबरी लाने की कोशिश कर रही है। iOS 26.2 beta 3 में Apple ने उस बदलाव की नींव रख दी है, जिसके तहत iPhone यूजर्स Siri की जगह किसी और वॉयस असिस्टेंट को चुन सकेंगे, हालांकि शुरुआत केवल एक ही देश से हो रही है।
iOS 26.2 beta 3 के टीयरडाउन से पता चला (via MacRumors) है कि iPhone में साइड बटन को दबाकर Siri की बजाय किसी और असिस्टेंट को लॉन्च किया जा सकेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के डेवलपर डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि यूजर अपने पसंद के थर्ड-पार्टी वॉयस असिस्टेंट को साइड बटन से एक्टिव कर पाएंगे। हालांकि, यह फीचर सभी के लिए नहीं है। Apple ने साफ किया है कि इसे सिर्फ जापान में उपलब्ध कराया जाएगा।
डेवलपर नोट्स में लिखा है कि जापान में लोग अपने iPhone के साइड बटन पर किसी वॉयस-बेस्ड कन्वर्सेशनल ऐप को तुरंत लॉन्च करने की सुविधा ले सकते हैं। लेकिन यह तभी संभव होगा जब ऐप डेवलपर्स अपनी ऐप्स को नए सिस्टम के लिए अपडेट करें।
रिपोर्ट आगे बताती है कि Apple की शर्तों के अनुसार, यह फीचर तभी काम करेगा जब यूजर का Apple Account रीजन जापान सेट हो और डिवाइस भी जापान में ही फिजिकली लोकेटेड हो। ऐसा माना जा रहा है कि कंपनी यह बदलाव जापान की Mobile Software Competition Act Guidelines का पालन करने के लिए कर रही है, जिसे जापान फेयर ट्रेड कमीशन ने लागू किया था।
इन गाइडलाइंस के मुताबिक, Apple अपने वॉयस असिस्टेंट को प्राथमिकता नहीं दे सकता और उसे थर्ड-पार्टी ऐप्स को भी कोर हार्डवेयर इंटरैक्शन तक पहुंच देनी होगी। यही वजह है कि फिलहाल यह बदलाव सिर्फ जापान तक सीमित रखा गया है।
दूसरे देशों में इस बदलाव का इंतजार कर रहे यूजर्स भले थोड़ा निराश हों, लेकिन Apple Siri को लेकर अगले साल एक बड़े ट्रांसफॉर्मेशन की तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, Apple करीब एक अरब डॉलर Google को देने वाला है ताकि Siri को Gemini मॉडल पर अपग्रेड किया जा सके। कंपनी यह भी सुनिश्चित करेगी कि नया मॉडल पूरी तरह Apple के सर्वर्स पर चले और किसी भी तरह का यूजर डेटा Google या किसी थर्ड-पार्टी के पास न जाए।
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