देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला पकड़ा गया है। कंपनी को जांच में पता चला है कि हायरिंग की जिम्मेदारी संभालने वाले उसके कुछ सीनियर एग्जिक्यूटिव्स ने स्टाफिंग फर्मों से करोड़ों रुपये की रिश्वत लेकर कंपनी में रिक्रूटमेंट्स की थी।
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रिपोर्ट के अनुसार, इस स्कैम की पूरी जानकारी नहीं मिली है। इस मामले की जानकारी रखने वाले दो एग्जिक्यूटिव्स ने बताया है कि एक व्हिसलब्लोअर ने कंपनी के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि TCS के रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) के हेड, E S Chakravarthy वर्षों से स्टाफिंग फर्मों से कमीशन ले रहे हैं। इस शिकायत के बाद कंपनी ने आरोपों की जांच के लिए TCS के चीफ इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर, Ajit Menon सहित तीन सीनियर एग्जिक्यूटिव्स की टीम बनाई थी।
कंपनी ने जांच के बाद रिक्रूटमेंट के हेड को छुट्टी पर भेज दिया है और RMG से चार एग्जिक्यूटिव्स को बर्खास्त किया है। इसके अलावा तीन स्टाफिंग फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया गया है। हालांकि, ब्लैकलिस्ट की गई स्टाफिंग फर्मों के बारे में जानकारी नहीं मिली है। इस रिपोर्ट में एक एग्जिक्यूटिव के हवाले से बताया गया है कि इस स्कैम में शामिल लोगों को कमीशन के जरिए लगभग 100 करोड़ रुपये मिले हो सकते हैं। कंपनी के साथ 1997 में जुड़े चक्रवर्ती की पोजिशन वाइस प्रेसिडेंट की थी और वह TCS के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर को रिपोर्ट करते थे। कंपनी ने उनके ऑफिस में आने पर रोक लगा दी है। इस बारे में
TCS के प्रवक्ता ने कहा, "कोड ऑफ कंडक्ट के उल्लंघन की शिकायतें मिलती रहती हैं। कंपनी के पास इसकी जांच और समाधान करने के लिए मजबूत प्रक्रिया है।"
TCS की RMG डिविजन में लगभग 3,000 एंप्लॉयीज होने का अनुमान है। यह प्रति दिन लगभग 1,400 इंजीनियर्स को प्रोजेक्ट्स पर लगाती है। पिछले वित्त वर्ष के अंत में कंपनी का रेवेन्यू 27 अरब डॉलर से अधिक का था। आमतौर पर, TCS जैसी बड़ी IT कंपनियां एंप्लॉयी रेफरल प्रोग्राम और स्टाफिंग फर्मों के जरिए एग्जिक्यूटिव्स की रिक्रूटमेंट करती हैं। इसके अलावा अस्थायी वर्कर्स या कॉन्ट्रैक्टर्स को भी स्टाफिंग फर्मों को हायर करने के लिए भी स्टाफिंग फर्मों की मदद ली जाती है।