भारत के इंटरनेट के मार्केट में जल्द होगी Musk की स्टारलिंक की एंट्री, Reliance Jio को मिलेगी टक्कर 

Indian National Space Promotion and Authorization Centre (IN-SPACe) ने स्टारलिंक को यह अप्रूवल दिया है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 11 जुलाई 2025 18:49 IST
ख़ास बातें
  • स्टारलिंक को इंटरनेट सर्विस के लॉन्च के लिए हरी झंडी मिल गई है
  • इस कंपनी का लाइसेंस पांच वर्षों के लिए वैध है
  • Reliance Jio और OneWeb को इसके लिए पहले हीअप्रूवल मिल चुका है

Reliance Jio और Eutelsat की OneWeb को भी सर्विस के लॉन्च के लिए हरी झंडी मिल चुकी है

देश में इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों की लिस्ट में बिलिनेयर Elon Musk की Starlink जल्द शामिल हो सकती है। इस कंपनी को सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने के लिए अंतिम रेगुलेटरी अप्रूवल मिल गया है। इससे पहले Reliance Jio और Eutelsat की OneWeb को भी सर्विस के लॉन्च के लिए हरी झंडी मिल चुकी है। 

Indian National Space Promotion and Authorization Centre (IN-SPACe) ने स्टारलिंक को यह अप्रूवल दिया है। Reuters की एक रिपोर्ट में IN-SPACe के हवाले से बताया गया है कि स्टारलिंक का लाइसेंस पांच वर्षों के लिए वैध है। पिछले महीने इस कंपनी को टेलीकॉम मिनिस्ट्री से लाइसेंस मिला था। स्टारलिंक को अब केंद्र सरकार से स्पेक्ट्रम हासिल करने, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और टेस्टिंग और ट्रायल के जरिए यह दिखाने की जरूरत होगी कि कंपनी सिक्योरिटी से जुड़े रूल्स को पूरा कर रही है। पिछले तीन वर्षों से स्टारलिंक देश में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए लाइसेंस मिलने का इंतजार कर रही थी। 

Mukesh Ambani की रिलायंस जियो और स्टारलिंक के बीच कई महीनों तक यह विवाद चला था कि देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम का एलोकेशन कैसे होना चाहिए। हालांकि, सरकार ने इस मामले में स्टारलिंक का पक्ष लिया था कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को ऑकशन के बजाय एलोकेशन किया जाना चाहिए। स्टारलिंक ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ऑक्शन नहीं करने के लिए लॉबीइंग की थी। इस कंपनी ने कहा था कि इसके लिए इंटरनेशनल ट्रेंड के अनुसार लाइसेंस दिया जाना चाहिए। स्टारलिंक की दलील थी कि यह एक नेचुरल रिसोर्स है जिसकी कम्युनिकेशन से जुड़ी कंपनियों को शेयरिंग करनी चाहिए। 

Bharti Airtel और रिलायंस जियो जैसी टेलीकॉम कंपनियों ने कहा था कि अगर सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का प्राइस कम रखा जाता है तो इससे उनके बिजनेस को नुकसान होगा। इससे स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को फायदा मिल सकता है। टेलीकॉम कंपनियों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी टेलीकॉम मिनिस्ट्री को लिखे एक पत्र में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की प्राइसिंग से जुड़े प्रपोजल की समीक्षा करने की मांग की थी। इस पत्र में कहा गया था कि सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए प्राइस की तुलना में देश की टेलीकॉम कंपनियां स्पेक्ट्रम के लिए सरकार को लगभग 21 प्रतिशत  ज्यादा भुगतान करती हैं। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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