Sake Dean Mahomed Google Doodle: शेक दीन मोहम्मद को कुछ इस अंदाज में किया गूगल ने याद

Sake Dean Mahomed Google Doodle: शेक दीन मोहम्मद को याद करते हुए गूगल डूडल बनाया गया है। आखिर शेक दीन मोहम्मद कौन थे, आइए आपको उनके बारे में विस्तार से बताते हैं।

Sake Dean Mahomed Google Doodle: शेक दीन मोहम्मद को कुछ इस अंदाज में किया गूगल ने याद

Sake Dean Mahomed Google Doodle: शेक दीन मोहम्मद के जीवन के बार में जानें कुछ अहम बातें

ख़ास बातें
  • ब्राइटन संग्राहालय में आज भी है शेक दीन मोहम्मद की तस्वीर
  • 1794 में आज ही के दिन पहली अंग्रेजी किताब हुई थी प्रकाशित
  • Sake Dean Mahomed के रेस्टोरेंट का नाम था हिंदुस्तान कॉफी हाउज
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शेक दीन मोहम्मद (Sake Dean Mahomed) को याद करते हुए गूगल डूडल (Google Doodle) बनाया गया है आज। आखिर शेक दीन मोहम्मद कौन थे, आइए आपको उनके बारे में विस्तार से बताते हैं। शेक दीन मोहम्मद (Sake Dean Mahomed) एक यात्री और सर्जन थे। जनवरी 1759 में उनका जन्म पटना में हुआ था, आप शायद इस बात से वाकिफ नहीं होंगे कि भारत और इंग्लैंड के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को बढ़ाने में शेक दीन मोहम्मद का काफी अहम योगदान रहा है। Sake Dean Mahomed के पिता ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्य किया करते थे।

लेकिन जब शेक दीन मोहम्मद केवल 10 साल के थे उनके पिता का देहांत हो गया। पिता के गुजर जाने के बाद वह ईस्ट इंडिया कंपनी के बंगाल रेजिमेंट में सैनिक भी रहे थे। सन् 1794 में आज ही के दिन उन्होंने अपनी पहली अंग्रेजी किताब को भी प्रकाशित किया था। शेक दीन मोहम्मद (Sake Dean Mahomed) सन् 1782 में इंग्लैंड आ गए थे। इसके बाद उन्होंने यहां अपना पहला भारतीय रेस्टोरेंट खोला। इंग्लैंड में खोले इस रेस्टोरेंट का नाम था हिंदुस्तान कॉफी हाउज।

लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि रेस्टोरेंट कुछ खास नहीं चला जिस वजह से उन्होंने केवल 2 साल में ही इसे बंद कर दिया। रेस्टोरेंट को बंद करने के बाद उन्होंने स्पा खोला। आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि, शेक दीन मोहम्मद (Sake Dean Mahomed) स्पा में आने वाले लोगों को हर्बल स्टीम दिया करते थे। केवल इतना ही नहीं, स्पा में चंपी मालिश भी की जाती थी। बता दें कि चंपी को ‘शैंपू' नाम दिया गया था। कुछ ही वर्षों में ‘शैंपू' या कह लीजिए चंपी मालिश यूरोप व ब्रिटेन में लोकप्रिय हो गई थी।

इसी वजह से सन् 1822 में किंग जॉर्ज ने शेक दीन मोहम्मद (Sake Dean Mahomed) को अपना निजी चंपी सर्जन नियुक्त किया था। वह अपनी चंपी मालिश की वजह से लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुए और आज भी ब्राइटन संग्राहालय में उनकी तस्वीर मौजूद है। सन् 1851 में शेक दीन मोहम्मद ने दुनिया को अलविदा कह दिया और उनके निधन के बाद उन्हें सेंट निकोलस चर्च के एक कब्रिस्तान में दफनाया दिया गया था।
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