शुक्रवार की सुबह भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऋषभ पंत (Rishabh Pant) की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। फिलहाल वे देहरादून के मैक्स अस्पताल में निगरानी में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि दिल्ली से उत्तराखंड जा रहे पंत को गाड़ी चलाते समय झपकी आ गई, जिससे यह हादसा हुआ। पंत Mercedes-Benz GLE Coupe कार चला रहे थे, जो पहले डिवाइडर से टकराई, जिसके प्रभाव से पंत विंडस्क्रीन से बाहर गिर गए, जो उनके लिए अच्छा साबित हुआ, क्योंकि इसके तुरंत बाद कार ने आग पड़क ली और देखते ही देखते पूरी तरह से जल गई।
हादसे के तुरंत बाद, पंत को देहरादून के अस्पताल पहुंचा गया, जहां उनका इलाज चालू है।
रिपोर्ट्स का कहना है कि वे खतरे से बाहर हैं, लेकिन उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। भले ही दमकल की गाड़ियों ने कार में लगी आग पर समय से काबू पा लिया, लेकिन इस तरह के हादसों से कई सवाल खड़े होते हैं। दुर्घटना के कुछ समय बाद, हादसे की साइट से कार की कई तस्वीरें सामने आईं, जिसमें देखने को मिलता है कि कार पूरी तरह से जलकर खाक हो गई। कार का अगला हिस्सा न के बराबर बचा हुआ है और अपहोल्स्ट्री के साथ सीट्स का केवल अंदरूनी ढ़ांचा बचा है।
इससे पता चलता है कि आग कितनी भयंकर थी, लेकिन हैरानी इस बात से होती है कि आग से कार का ये हाल कुछ मिनटों में हो गया। भले ही दुर्घटना से बचाव के मामले में निर्माता अपनी गाड़ियों के लिए 5 स्टार रेटिंग हासिल कर लेते हैं, लेकिन इस तरह सेकंड्स में कार का
आग पकड़ना और जलकर खाक हो जाना गाड़ियों की संवेदनशीलता को दर्शाता है। एक तरफ कार निर्माताओं का दावा होता है कि कार में मौजूद मॉडर्न इंटरनल कंबशन के लिए आग पकड़ना बेहद मुश्किल है, वहीं दूसरी ओर इस तरह के हादसे डर पैदा करते हैं।
हमें दिल्ली में हुई
हालिया घटना को भी नहीं भूलना चाहिए, जहां एक युवक ने पार्किंग में खड़ी Maruti Suzuki Ertiga कार के टायर्स को जलाया था, लेकिन कुछ ही मिनटों में पार्किंग में खड़ी अन्य 20 कारें भी जलकर खाक हो गईं। इनमें से ज्यादातर गाड़ियों की केवल चेसिस दिखाई दे रही थी।
इन हादसों से यह साफ होता है कि भले ही आधुनिक कारों को बनाने वाले निर्माता सबसे ज्यादा रेटिंग हासिल करके अपनी कारों को सबसे सुरक्षित वाहन का खिताब देते हैं, लेकिन इन
आग जैसे खतरे से बचाव के मामले में अभी भी ये वाहन बहुत संवेदनशील हैं। इनके पीछे वाहन में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक और फोम का इस्तेमाल और साथ ही वायरिंग हार्नेस और कपड़े का मिश्रण आदि जैसे कारक हैं। ये कुछ दशक पहले आने वाले वाहनों से अलग हैं, जिनमें स्टील और सॉलिड प्लास्टिक आदि का ज्यादा इस्तेमाल होता था।