ऑनलाइन सर्च की खराब क्वालिटी से फैल रही गलत जानकारी

इस स्टडी में रिसर्चर्स ने हाल के और कुछ महीने पुराने न्यूज आर्टिकल्स को पढ़ने के बाद लोगों के व्यवहार का मूल्यांकन किया था

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 25 दिसंबर 2023 20:34 IST
ख़ास बातें
  • इस स्टडी में मीडिया साक्षरता कार्यक्रमों की जरूरत पर जोर दिया गया है
  • ऑनलाइन सर्च से मिली जानकारी कई बार गलत हो सकती है
  • पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन सर्च का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है

ऐसे कई मामले हुए हैं जिनमें ऑनलाइन सर्च से मिली गलत जानकारी से बड़े नुकसान हुए हैं

पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन सर्च से जानकारी हासिल करने का ट्रेंड बढ़ा है। हालांकि, इंटरनेट पर किसी जानकारी के लिए की जाने वाली सर्च से मिलने वाले रिजल्ट्स कई बार गलत भी हो सकते हैं। ऐसे कई मामले हुए हैं जिनमें ऑनलाइन सर्च से मिली गलत जानकारी से बड़े नुकसान हुए हैं। 

एक स्टडी में पाया गया है कि किसी संभावित गलत जानकारी की सच्चाई की पुष्टि के लिए ऑनलाइन सर्च करने वाले लोग कई बार सर्च इंजनों से मिले खराब क्वालिटी के रिजल्ट्स के कारण उस जानकारी को सही मान लेते हैं। इससे ऑनलाइन सर्च इंजनों के लिए सर्च के रिजटल्स के ऊपरी हिस्से में गलत जानकारी को दिखने से रोकने की चुनौती बढ़ गई है। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम की ओर से यह स्टडी की गई है। इसका लक्ष्य लोगों के किसी न्यूज की सच्चाई का पता लगाने के लिए सर्च इंजनों के इस्तेमाल से मिलने वाले रिजल्ट्स के असर को समझना था। 

Nature जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी के निष्कर्षों में मीडिया साक्षरता कार्यक्रमों की जरूरत बताई गई है। इसके साथ ही कहा गया है कि इस स्टडी में जिन चुनौतियों का पता चला में उनके सॉल्यूशंस में सर्च इंजनों को इनवेस्ट करना होगा। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सोशल मीडिया एंड पॉलिटिक्स के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, Zeve Sanderson ने बताया, "हमारी स्टडी से पता चलता है कि न्यूज की सच्चाई को जानने के लिए ऑनलाइन सर्च करने से अधिक लोकप्रिय गलत जानकारी में विश्वास बढ़ता है और यह बड़ी मात्रा में होता है।" 

इस स्टडी में रिसर्चर्स ने हाल के और कुछ महीने पुराने न्यूज आर्टिकल्स को पढ़ने के बाद लोगों के व्यवहार का मूल्यांकन किया था। इसमें कोरोना जैसे विषय पर गलत या भ्रामक जानकारी और पुष्टि वाली न्यूज के कॉम्बिनेशन को शामिल किया गया था। इसमें कोरोना वैक्सीन, ट्रंप पर महाभियोग की कार्यवाही और क्लाइमेट से जुड़े इवेंट्स पर गलत लेकिन लोकप्रिय आर्टिकल्स थे। इस स्टडी के रिसर्चर्स ने पाया कि विशेषतौर पर भ्रामक या गलत जानकारी वाले न्यूज आर्टिकल्स की सच्चाई का पता लगाने के लिए ऑनलाइन सर्च करने वाले यूजर्स के सर्च इंजनों की ओर से खराब क्वालिटी वाले रिजल्ट्स दिखाए जाने पर उस जानकारी पर विश्वास करने की संभावना अधिक थी। 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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