अगर आपने हवाई यात्रा की है तो आपको पता होगा कि फ्लाइट में मोबाइल फोन को एयरप्लेन मोड में रखना पड़ता है। इस प्रक्रिया से मोबाइल फोन का इस्तेमाल बहुत सीमित हो जाता है। यह नियम यात्रियों और फ्लाइट क्रू दोनों पर ही लागू होता है। इससे लोगों को लंबी दूरी की फ्लाइट के दौरान दिक्कतें आती हैं और लोगों को वाई-फाई का इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा कीमत तक चुकानी पड़ती है। मगर हवाई यात्रा में अब एक नए युग की शुरुआत हो गई है और टेक्नोलॉजी के चलते नियमों में बदलाव हो रहा है। यूरोपीय संघ (EU) में एयरलाइन पैसेंजर्स जल्द ही आसमान में पूरी तरह से अपने मोबाइल का इस्तेमाल कर पाएंगे।
एयरप्लेन मोड: यूरोपीय संघ कमीशन ने 2008 में एयरक्राफ्ट के लिए कुछ फ्रीक्वेंसी बैंड रिजर्व किए और कुछ सर्विस को हवा में इंटरनेट का इस्तेमाल करने की अनुमति दी। यह सर्विस स्लो भी है और महंगी भी है। ऐसे में पैसेंजर्स के लिए एकमात्र ऑप्शन अपने डिवाइस को एयरप्लेन मोड में रखना था। हालांकि अब नियम बदल चुके हैं। यूरोपीय संघ के देशों में एयरलाइन पैसेंजर्स को फ्लाइट के दौरान अपने फोन को एयरप्लेन मोड में रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यूरोपीय कमीशन ने ऐलान किया है कि उन्होंने 'एयरप्लेन मोड' नियम हटाने का फैसला किया है। ऐसे में राज्यों के लिए फ्लाइट के लिए 5G फ्रीक्वेंसी बैंड उपलब्ध कराने की समय सीमा 30 जून 2023 है। इसका मतलब यह है कि यात्री अपने फोन के सभी फीचर्स कॉल और डाटा समेत ऐप्स का इस्तेमाल, जिसमें म्यूजिक और वीडियो स्ट्रीम तक शामिल हैं, इनका इस्तेमाल फ्लाइट में कर सकते हैं। यूरोपीय कमीशन के अनुसार, नए सिस्टम के जरिए 100Mbps से ज्यादा 5G जैसी तेज डाउनलोड स्पीड मिलेगी।
यूके फ्लाइट सेफ्टी कमेटी के चीफ एग्जीक्यूटिव दाई व्हिटिंगम ने कहा कि "ऐसे में एक चिंता का विषय था कि इससे ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम में हस्तक्षेप हो सकता है। मगर देखा गया कि ऐसे में हस्तक्षेप का जोखिम बहुत कम है। हालांकि हमेशा इसकी सलाह दी जाती है कि जब आप फ्लाइट में हों तो डिवाइस को एयरप्लेन मोड में रखना चाहिए।"
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