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चीन की कार मार्केट की बराबरी के लिए भारत को लगेंगे 140 वर्ष, जानें Maruti के चेयरमैन ने ऐसा क्यों कहा?

Maruti चेयरमैन ने कार उद्योग पर टैक्सेशन में कमी करने की वकालत की, जो 28% (जीएसटी) से शुरू होता है और बड़ी एसयूवी के मामले में 50% तक जाता है।

चीन की कार मार्केट की बराबरी के लिए भारत को लगेंगे 140 वर्ष, जानें Maruti के चेयरमैन ने ऐसा क्यों कहा?

कार उद्दोग में टैक्सेशन 28% (GST) से शुरू होता है और बड़ी एसयूवी के मामले में 50% तक जाता है

ख़ास बातें
  • मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव (R C Bhargava) ने बताया चौंकाने वाला आंकड़ा
  • चीनी कार मार्केट से भारत बहुत पीछे
  • भारी टैक्सेशन और खराब नौकरशाही नीति को बताया जिम्मेदार
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चाइनीज कार मार्केट विशाल है और तेजी से ग्रो कर रहा है, लेकिन देश के दिग्गज वाहन निर्माता के चेयरमैन के अनुसार, भारी टैक्स और खराब नौकरशाही नीति के चलते भारत को चीन से बराबरी करने के लिए 140 वर्षों का समय लगेगा। कहा गया है कि भारत में प्रति हजार लोगों पर लगभग 30 कार हैं। ये आकंड़ा पिछले पांच वर्षों में प्रति वर्ष एक व्यक्ति की दर से बढ़ रहा है। इस हिसाब से चीन के प्रति हजार लोगों पर 170 कारों के स्तर तक पहुंचने में कथित तौर पर हमें 140 साल लगेंगे। 

TOI के अनुसार, मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव (R C Bhargava) ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारतीय कार मार्केट को चीन के साथ बराबरी करने में करीब 140 वर्षों का समय लगेगा। उन्होंने इसके लिए देश में भारी कर वसूली और खराब नौकरशाही नीति को जिम्मेदार ठहराया।

बता दें कि भार्गव देश में सबसे लंबे समय तक सर्विस करने वाले (88 वर्षीय) ऑटो उद्योग के कार्यकारी का ओहदा हासिल कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कार उद्योग का CAGR 2000-10 के दशक में प्राप्त 12% के ऑल टाइम हाई से घटकर 2010-22 में 3% के निचले स्तर पर आ गया है।

उन्होंने कार उद्योग पर टैक्सेशन में कमी करने की वकालत की, जो 28% (जीएसटी) से शुरू होता है और बड़ी एसयूवी के मामले में 50% तक जाता है। उन्होंने तुलना के लिए यह भी बताया कि यूरोपीय संघ और जापान में ये टैक्स क्रमश: करीब 19% और 10% है।

उन्होंने नौकरशाही नीति की भी बात की, जिसमें उन्होंने कहा, "किसी को यह सोचना चाहिए कि क्या कारों पर अर्थव्यवस्था में टैक्सेशन की औसत दर से अधिक शुल्क लगाया जाना चाहिए? हम एक तरह से इस तथ्य को स्वीकार कर रहे हैं कि कार एक लग्जरी उत्पाद है। उन पर गैर-लक्जरी उत्पादों की तुलना में अधिक कर लगाया जाना चाहिए। यह पुरानी समाजवादी सोच है।"

रिपोर्ट के अनुसार, भार्गव का कहना है कि कार उद्योग की वृद्धि तब तक दबाव में रहेगी जब तक कि केंद्र और राज्य सरकारें इसे "एक लक्जरी उत्पाद के तहत भारी कर के रूप में मानती हैं।"

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नितेश पपनोई Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी
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