फ्यूचर रिटेल (Future Retail) और एमेजॉन के बीच चल रही कानूनी लड़ाई में एक नया अपडेट है। फ्यूचर रिटेल ने Amazon.com के साथ सिंगापुर में मध्यस्थता की कार्यवाही को अवैध घोषित करने का अनुरोध दिल्ली हाई कोर्ट से किया है। रॉयटर्स के मुताबिक, फ्यूचर रिटेल की ओर से तर्क दिया गया है कि भारत की एंटीट्रस्ट एजेंसी ने Amazon द्वारा फ्यूचर पर अधिकारों का दावा करने वाली साल 2019 की डील को सस्पेंड कर दिया था। भारत में इसका "कोई कानूनी अस्तित्व" नहीं है।
एमेजॉन ने डील की शर्तों का इस्तेमाल करते हुए फ्यूचर ग्रुप पर कॉन्ट्रैक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया है। एमेजॉन अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी रिलायंस को फ्यूचर को खरीदने से रोकना चाहती है। साल 2019 में फ्यूचर रिटेल में एमेजॉन ने 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1,485 करोड़ रुपये) का निवेश किया था। वहीं, रिलायंस और फ्यूचर के बीच $3.4 बिलियन (लगभग 25,640 करोड़ रुपये) में फ्यूचर रिटेल को खरीदने पर बात बनी है। एमेजॉन इस डील के खिलाफ है।
इस मामले में अहम मोड़ हाल के दिनों में आया, जब देश की एंटीट्रस्ट एजेंसी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) ने 2019 की डील को यह कहते हुए सस्पेंड कर दिया कि एमेजॉन ने अप्रूवल्स की मांग के दौरान जानकारी को दबा दिया।
लंबे समय से चल रहे इस विवाद की सुनवाई सिंगापुर मध्यस्थता पैनल द्वारा की जा रही है, लेकिन दोनों ही पक्ष पैनल द्वारा लिए गए कुछ फैसलों को लागू करने या रद्द करने के लिए भारतीय अदालतों में भी मुकदमे लड़ रहे हैं।
अब दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी लेटेस्ट फाइलिंग में फ्यूचर रिटेल ने तर्क दिया है कि 2019 की डील अब सस्पेंड हो चुकी है। भारत में इसका "कोई कानूनी अस्तित्व" नहीं है। एमेजॉन अब अपने किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकती है। 31 दिसंबर 2021 की अपनी फाइलिंग में फ्यूचर रिटेल ने सिंगापुर मध्यस्थता पैनल की कार्यवाही को अवैध बताने की कोशिश की है।
इस ताजा घटनाक्रम पर फ्यूचर और एमेजॉन ने रॉयटर्स की ओर से मांगे गए कमेंट पर जवाब नहीं दिया है। फ्यूचर ग्रुप ने दिल्ली हाई कोर्ट में यह अपील ऐसे वक्त में की है, जब सिंगापुर मध्यस्थता पैनल ने इस मामले में कार्यवाही को समाप्त करने की उसकी मांगों पर असहमति जताई है। वहां इस मामले पर इस महीने बहस जारी रहेगी।
मामले की जानकारी रखने वाले एक सोर्स ने रॉयटर को बताया कि एमेजॉन ने दिसंबर में सिंगापुर के मध्यस्थता पैनल को बताया था कि 2019 के सौदे को सस्पेंड करने का मतलब यह नहीं है कि उसके और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुआ लेनदेन जीरो है।
क्या है पूरा मामला
देशभर में 1500 से ज्यादा सुपरमार्केट और आउटलेट्स चलाने वाले फ्यूचर ग्रुप और एमेजॉन के बीच साल 2019 में डील हुई थी। फ्यूचर रिटेल उस वक्त भारी कर्जे में थी। तब एमेजॉन ने 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1,485 करोड़ रुपये) का निवेश फ्यूचर रिटेल में किया। इसके बाद फ्यूचर रिटेल और रिलायंस के बीच एक डील हुई। इस डील में 3.4 बिलियन डॉलर (लगभग 25,640 करोड़ रुपये) में फ्यूचर रिटेल को खरीदने पर बात बनी है। एमेजॉन का तर्क है कि यह डील उसके और फ्यूचर रिटेल के बीच हुई डील का उल्लंघन है। सिंगापुर का मध्यस्थता पैनल इस मामले की सुनवाई कर रहा है। भारत की अदालत में भी फ्यूचर और एमेजॉन मुकदमा लड़ रही हैं। इस बीच, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग फ्यूचर और एमेजॉन के बीच हुई डील को सस्पेंड कर चुका है, जिससे एमेजॉन को झटका लगा है।