सोशल मीडिया साइट Facebook को चलाने वाली कंपनी Meta में इस सप्ताह हजारों वर्कर्स की छंटनी की जाएगी। कुछ महीने पहले भी Meta ने अपने स्टाफ में 11,000 से अधिक वर्कर्स को घटाया था। कंपनी ने अपने फाइनेंशियल टारगेट्स को पूरा करने के लिए दोबारा छंटनी करने का फैसला किया है।
इस बारे में Bloomberg की रिपोर्ट पर Reuters की ओर से संपर्क किए जाने पर
मेटा ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। पिछले महीने Washington Post समाचार पत्र ने रिपोर्ट थी कि मेटा रिस्ट्रक्चरिंग की योजना के तहत छंटनी कर रही है। कंपनी के CEO, Mark Zuckerberg ने इनवेस्टर्स को बताया था कि पिछले वर्ष की गई छंटनी कंपनी के एफिशिएंसी पर फोकस करने की शुरुआत ही और यह अंत नहीं था। उनका कहना था कि मिड मैनेजमेंट से कुछ लेयर्स को हटाया जाएगा। इस बारे में भी मेटा ने कोई टिप्पणी नहीं की थी। हालांकि, कंपनी के प्रवक्ता Andy Stone ने ट्वीट कर जकरबर्ग के पिछले बयानों के हवाले से कहा था कि दोबारा छंटनी की जाएगी।
टेक सेक्टर की बहुत सी कंपनियों ने प्रॉफिट घटने के कारण अपने खर्च को कम करने के लिए पिछले कुछ महीनों में छंटनी जैसे कदम उठाए हैं। इनमें गूगल को चलाने वाली Alphabet और सॉफ्टवेयर कंपनी Microsoft शामिल हैं। महामारी के दौरान टेक कंपनियों का बिजनेस तेजी से बढ़ा था और इसका असर उनके वैल्यूएशंस पर भी दिखा था। इसके बाद से इन्फ्लेशन और इंटरेस्ट रेट्स में बढ़ोतरी से इन कंपनियों के वैल्यूएशंस में काफी गिरावट आई है। मेटा के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, Mark Zuckerberg ने एंप्लॉयीज को मैसेज में बताया था, "मैक्रो इकोनॉमिक स्थितियों के कमजोर होने, कॉम्पिटिशन बढ़ने और विज्ञापनों में कमी से हमारा रेवेन्यू अनुमान से बहुत कम रहा है। मुझसे गलती हुई है और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।" उन्होंने कहा था कि कंपनी को अपने रिसोर्सेज AI, विज्ञापनों और मेटावर्स प्रोजेक्ट जैसे ग्रोथ की अधिक संभावना वाले एरिया में लगाने की जरूरत है।
मेटा ने
कंपनी से हटाए गए स्टाफ को 16 सप्ताह की बेस पे के साथ ही प्रत्येक वर्ष की सर्विस के लिए दो अतिरिक्त सप्ताह की बेस पे दी थी। इसके अलावा छह महीने की हेल्थकेयर कॉस्ट का भी भुगतान किया गया था। मेटा की वैल्यू कभी एक लाख करोड़ डॉलर से अधिक की थी, जो घटकर 446 अरब डॉलर की है।