पिछले कुछ महीनों से क्रिप्टो मार्केट में गिरावट से इनवेस्टर्स को बड़ा नुकसान हुआ है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने चेतावनी दी है कि अगले वित्तीय संकट प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसीज से आएगा। RBI ने एक बार भी क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन लगाने की मांग की है। RBI के गवर्नर Shaktikanta Das ने बुधवार को कहा कि क्रिप्टोकरेंसीज के साथ कोई वैल्यू नहीं जुड़ी और यह मैक्रो इकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के लिए रिस्क है।
इससे पहले भी RBI की ओर से
क्रिप्टो पर बैन लगाने की मांग की जा चुकी है। इस महीने देश में डिजिटल रुपये का रिटेल ट्रायल शुरू किया गया है। यह ट्रायल चार बड़े शहरों - दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में होगा। इसके पूरा होने के बाद यह तय होगा कि क्या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) प्रति दिन की खरीदारियों के लिए एक एफिशिएंट जरिया है या नहीं। इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाले बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, यस बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक शामिल हैं। इससे ट्रांजैक्शंस की कॉस्ट में कमी होने की संभावना है। दुनिया के उन चुनिंदा सेंट्रल बैंकों में RBI शामिल है जिन्होंने CBDC प्रोजेक्ट शुरू किया है।
देश में डीमॉनेटाइशन होने के बाद UPI पेमेंट्स में तेजी से ग्रोथ हुई है। इसका फायदा डिजिटल रुपये को भी मिल सकता है।
CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है, जिस पर सेंट्रल बैंक का कंट्रोल रहता है। यह क्रिप्टोकरेंसी की तरह काम करता है लेकिन क्रिप्टोकरेंसीज की तरह CBDC में वोलैटिलिटी और अन्य रिस्क नहीं होते। केंद्र सरकार ने इस वर्ष के बजट में 2022-23 के फाइनेंशियल ईयर से CBDC को लॉन्च करने की घोषणा की थी।
रिटेल सेगमेंट में ट्रायल के लिए CBDC को एक डिजिटल वॉलेट में दिया जाएगा। यह वॉलेट स्मार्टफोन और PC के साथ कम्पैटिबल होगा। हालांकि, RBI ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि CBDC ट्रांजैक्शंस किस हद तक अज्ञात होंगी। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक विशेष लिमिट तक पहचान के किसी सरकारी प्रमाण के बिना कैश ट्रांजैक्शंस की अनुमति दी है। यह रूल CBDC ट्रांजैक्शंस पर भी लागू हो सकता है। हालांकि, बैंकर्स ने इस प्रोजेक्ट को लेकर आशंका जताई है। उनका कहना है कि इसमें इंटरनेट-बेस्ड बैंकिंग ट्रांजैक्शंस की तरह फायदे नहीं दिख रहे हैं।