प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्रिप्टो सेगमेंट के लिए विस्तृत रूल्स बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के डिवेलपमेंट के साथ रफ्तार बनाए रखने की जरूरत है। इससे पहले फाइनेंस मिनिस्ट्री और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी क्रिप्टो के लिए रूल्स बनाने का पक्ष लिया था।
एक मीडिया इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि टेक्नोलॉजीज को लोकतांत्रिक बनाया जाना चाहिए और इन्हें अनदेखा करने के बजाय अपनाने की जरूरत है। भारत की G20 अध्यक्षता के हिस्से के तहत टॉप एजेंडों में
क्रिप्टोकरेंसीज का रेगुलेशन भी शामिल है। मोदी ने कहा कि क्रिप्टो के लिए वैश्विक सहमति के साथ रूल्स बनाए जाने चाहिए जो सभी देशों के लिए समान हों। उनका कहना था, "टेक्नोलॉजी में बदलाव की तेज रफ्तार एक वास्तविकता है और इसे अनदेखा करने का कोई मतलब नहीं है। इससे जुड़े रूल्स और फ्रेमवर्क एक देश या देशों के समूह से नहीं जुड़े होने चाहिए।"
क्रिप्टो सेगमेंट के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू होने वाले रूल्स पर भारत कार्य कर रहा है। इसके लिए G20 में शामिल अन्य देशों से भी सुझाव लिए जा रहे हैं। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड (FSB) जैसे ग्लोबल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस भी G20 देशों की इसमें मदद कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि क्रिप्टो से जुड़े एजेंडा के लिए काफी कोशिशें हो रही हैं।
हाल ही में होम मिनिस्टर अमित शाह ने क्रिप्टो और मेटावर्स से जुड़े रिस्क को
डायनामाइट के विस्फोट जैसा खतरनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि इससे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर एक साझा स्ट्रैटेजी बनाने की जरूरत है। G20 की एक मीटिंग को संबोधित करते हुए शाह ने कहा था कि क्रिप्टो और मेटावर्स से जुड़े रिस्क डायनामाइट के विस्फोट या हवाला के मामलों जितने गंभीर हैं। उनका कहना था कि सिक्योरिटी को लेकर खतरों के प्रकार में बदलाव आया है और यह एक गंभीर चिंता का विषय है। उनका कहना था, "हमारे सुरक्षा के पुराने खतरों में बदलाव हो रहा है। यह डायनाइट के विस्फोट से मेटावर्स और हवाले से क्रिप्टोकरेंसी में बदल रहे हैं। यह सभी देशों के लिए चिंता का एक विषय है। इससे निपटने के लिए एक साझा स्ट्रैटेजी बनानी होगी।" RBI ने क्रिप्टोकरेंसीज के बारे में चार वर्ष पहले सर्कुलर जारी कर उसके रेगुलेशंस के तहत आने वाली एंटिटीज पर इस सेगमेंट से जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में डील करने को लेकर रोक लगाई थी। हालांकि, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस सर्कुलर को खारिज कर दिया था। देश में क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर रेगुलेटरी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
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