Chandrayaan-3 मिशन कल बुधवार को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। 4.5 अरब साल पुराना चांद उम्र में पृथ्वी के ही बराबर है। हालांकि इसका गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से बहुत कम है। धरती पर जो चीज 68 किलो की है, वह चांद पर 11 किलो रह जाती है। चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर (LM) के चांद पर लैंड करने से पहले जानें चंद्रमा से जुड़ी दिलचस्प बातें। विशेषज्ञ डॉ.वी.टी.वेंकटेश्वरन ने पीटीआई से यह जानकारी शेयर की।
चंद्रमा कितना पुराना है, इसका निर्माण कब और कैसे हुआ?
अनुमान के मुताबिक चांद की उम्र करीब 4.5 अरब साल है, यानी मोटे तौर पर पृथ्वी की उम्र के बराबर। चंद्रमा के निर्माण का प्रमुख सिद्धांत है कि मंगल ग्रह के आकार का एक खगोलीय पिंड अरबों साल पहले धरती से टकराया था। उस टक्कर से निकले मलबे से चंद्रमा का निर्माण हुआ। चंद्रमा से मिले सबूत यह संकेत देते हैं कि यह पृथ्वी से उम्र में 6 करोड़ साल छोटा हो सकता है।
पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा पर कितना होता है वजन?
चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले बहुत कम है। वह पृथ्वी के मुकाबले 1/6 हिस्सा है। इसी वजह से चंद्रमा पर किसी वस्तु का वजन पृथ्वी के मुकाबले कम होगा। उदाहरण के लिए अगर किसी शख्स का पृथ्वी पर वजन 68 किलोग्राम है तो उसका चंद्रमा की सतह पर वजन महज 11 किलोग्राम होगा।
भारतीय वैज्ञानिक क्यों लैंड करना चाहते हैं चंद्रमा के साउथ पोल पर?
चंद्रमा का साउथ पोल अपनी विशेषता के कारण वैज्ञानिक खोज का केंद्र बना हुआ है। माना जाता है कि वहां पानी और बर्फ का बड़ा भंडार है जो हमेशा अंधेरे में रहता है। भविष्य के स्पेस मिशनों के लिए चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का बहुत अधिक महत्व है। इस इलाके में तापमान शून्य से 50 से 10 डिग्री नीचे रहता है। ऐसे तापमान में रोवर या लैंडर बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।
चंद्रमा का साउथ पोल हमेशा छाया में क्यों रहता है?
चंद्रमा की धुरी पृथ्वी के चारों ओर उसकी कक्षा में हल्की सी झुकी हुई है। इसका नतीजा है कि दक्षिणी ध्रुव के कुछ इलाकों में हमेशा छाया रहती है। इससे वहां का वातावरण ठंडा रहता है। जमा देने वाली यह कंडीशन वहां बर्फ के रूप में मौजूद पानी को अरबों साल तक स्टोर करने में मददगार है।
क्या पानी/बर्फ भविष्य में चंद्रमा पर होने वाली खोज के लिए अहम है?
बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी भविष्य में चंद्रमा से जुड़ी खोजों के लिए अहम है। इसे सांस लेने वाली हवा, पीने के पानी और रॉकेट ईंधन के लिए जरूरी हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में बदला जा सकता है। इससे अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति आ सकती है। उस स्थिति में इन सभी चीजों को पृथ्वी से ले जाने की जरूरत नहीं होगी और लंबी दूरी के मिशन पूरे किए जा सकेंगे।
क्या भारत की योजना भविष्य में चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने की है?
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की मंशा जताई है लेकिन अब तक उसकी चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की कोई योजना नहीं है।