Chandrayaan-3: Pragyan रोवर को चांद की सतह पर मिला Aluminum, Sulphur, Calcium जैसे एलिमेंट्स का खजाना!

लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS), जो कि चंद्रयान 3 मिशन पर गए रोवर पर लगा है, ने चांद की सतह की कम्पोजीशन के बारे में पहली इन-सिटू मेजरमेंट की है।

Chandrayaan-3: Pragyan रोवर को चांद की सतह पर मिला Aluminum, Sulphur, Calcium जैसे एलिमेंट्स का खजाना!

Chandrayaan-3 मिशन में Pragyan रोवर लगातार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर खोजबीन कर रहा है।

ख़ास बातें
  • रोवर पर लगे लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप की मदद से की खोज
  • एल्युमिनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंग्नीज भी मिले
  • यहां सल्फर बड़ी मात्रा में मौजूद है
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Chandrayaan-3 मिशन में Pragyan रोवर लगातार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर खोजबीन कर रहा है। रोवर पर लगे लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप की मदद से रोवर ने चांद की सतह पर सल्फर की खोज की है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने इसकी जानकारी दी है। इसरो ने कहा है कि उपकरण ने सल्फर के अलावा यहां एल्युमिनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंग्नीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया है। 

लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS), जो कि चंद्रयान 3 मिशन पर गए प्रज्ञान रोवर पर लगा है, ने चांद की सतह की कम्पोजीशन के बारे में पहली इन-सिटू मेजरमेंट की है। इन मेजरमेंट्स में पता चला है कि यहां सल्फर बड़ी मात्रा में मौजूद है। यह एक ऐसी खोज है जो कि ऑर्बिटर पर लगे उपकरणों की मदद से नहीं की जा सकती थी। स्पेस एजेंसी ने इसकी जानकारी देते हुए यह कहा। ISRO के मुताबिक LIBS एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है जो कि तेज लेजर पल्सेस के माध्यम से किसी पदार्थ की कम्पोजीशन का पता लगाती है। 

इसरो ने बताया कि एक हाई एनर्जी लेजर पल्स को किसी पदार्थ के ऊपर फोकस किया जाता है जैसे कोई चट्टान या मिट्टी। यह एक गर्म प्लाज्मा बनाती है। उसके बाद प्लाज्मा को इकट्ठा करके चार्ज्ड कपल्ड डिवाइसेज की मदद से इसकी कम्पोजीशन का पता लगाया जाता है। कहा गया है कि प्लाज्मा के रूप में होने पर हरेक तत्व एक निश्चित वेवलेंथ की लाइट को छोड़ता है, जिससे कि उस पदार्थ की तत्वों संबंधी कम्पोजीशन का पता लगाया जाता है। 

शुरुआती जांच में पाया गया है कि चांद की सतह पर Aluminum (Al), Sulphur (S), Calcium (Ca), Iron (Fe), Chromium (Cr), और Titanium (Ti) पाया गया है। उसके बाद आगे की जांच में manganese (Mn), silicon (Si), और oxygen (O) जैसे तत्वों का भी पता लगा है। Hydrogen की उपस्थिति के बारे में भी पता लगाया जा रहा है कि क्या वहां पर हाईड्रोजन भी मौजूद है या नहीं। इन तत्वों का पता लगाने वाले LIBS उपकरण को लेबोरटरी फॉर इलेक्ट्रोऑप्टिक्स सिस्टम में तैयार किया गया है जो कि बेंगलुरू में पीन्या इंडस्ट्रियल एस्टेट में स्थित है। यही पर भारत का पहला सैटेलाइट भी 1975 में तैयार किया गया था। 
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