भारत के चंद्रयान-3 (
Chandrayaan-3) मिशन ने बुधवार को एक और पड़ाव पार कर लिया। पहले से तय योजना के अनुसार इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-3 की कक्षा में बदलाव किया। इसके बाद चंद्रयान-3 अपने लक्ष्य यानी चंद्रमा के 174 किलोमीटर तक नजदीक पहुंच गया है। यह इसकी चंद्रमा से निम्नतम दूरी है। अधिकतम दूरी अभी भी 1437 किलोमीटर है। आने वाले दिनों में इस दूरी को और घटाया जाएगा और आखिर में इसे 100 किलोमीटर तक कम कर दिया जाएगा।
अब से कुछ देर पहले एक ट्वीट में इसरो ने लिखा, चंद्रमा की सतह के भी करीब। आज किए गए युद्धाभ्यास के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी रह गई है। अगला ऑपरेशन 14 अगस्त 2023 को 11:30 से 12:30 बजे के बीच निर्धारित है।
बुधवार को पहले से तय योजना के अनुसार दोपहर 1 से 2 बजे के बीच इसरो ने चंद्रयान-3 के इंजनों की फिर से ‘रेट्रोफायरिंग' की। इसरो अपनी कोशिश में कामयाब हुई और चंद्रयान-3 चांद की कक्षा के और करीब पहुंच गया। सबकुछ तय योजना के अनुसार हुआ तो 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश कर सकता है।
इससे पहले, बीते शनिवार की शाम जब चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया, तो मिशन के पूरा होने की उम्मीदें और बढ़ गईं। चंद्रयान-3 ने इसरो को एक मैसेज भी भेजा। इसमें लिखा था, “MOX, ISTRAC, यह चंद्रयान-3 है। मैं चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं।'' चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग से पहले इसरो की सबसे बड़ी चुनौती रोवर प्रज्ञान के साथ ही लैंडिंग मॉड्यूल ‘विक्रम' को स्पेसक्राफ्ट के ‘प्रपल्शन मॉड्यूल' से अलग करना होगा। इस दौरान कोई भी गड़बड़ी होने पर मिशन में बाधा आ सकती है।
इसराे ने 1 अगस्त की रात करीब 12 बजे चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा की ओर रवाना किया था। इस मिशन का मसकद चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड कराना और वहां चहलकदमी की क्षमताओं को साबित करना है। अभी तक तीन देश- अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चंद्रमा पर अपने मिशन लैंड करा पाए हैं।