कंगाली, तंगहाली और बदहाली का शिकार पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) इन दिनों खबरों में है। कभी वहां आटे के लिए मारामारी मचती है, तो कभी पावर डाउन होने से देश के बड़े शहर अंधेरे में डूब जाते हैं। पाकिस्तान का हर सेक्टर मुसीबत झेल रहा है। लोग बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहे हैं। एक और जानकारी इस ‘डूबते' देश को लेकर सामने आ रही है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान की लगभग 15 फीसदी आबादी के पास अभी भी मोबाइल और दूरसंचार सेवाओं तक पहुंच नहीं है।
ट्रिब्यूनपीके की एक
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006-2007 के बाद से यूनिवर्सल सर्विस फंड (USF) ने लगभग 93 अरब पाकिस्तानी रुपये इस क्षेत्र में विस्तार पर खर्च किए हैं। इसके बावजूद देश की लगभग 15 फीसदी आबादी बिना मोबाइल और इंटरनेट के जी रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान के कई इलाकों और फेडरल एडमिनिस्ट्रेडेट ट्राइबल एरिया (FATA) के कुछ इलाकों में अभी तक बेसिक टेलीफोन और मोबाइल ब्रॉडबैंड कनेक्शन नहीं हैं।
पाकिस्तान ने साल 2007 में यूनिवर्सल सर्विस फंड की स्थापना की थी। पाकिस्तान की हरेक टेलिकॉम कंपनी अपनी कमाई का 1.5 फीसदी हिस्सा इसमें देती रही है। इस पैसे का इस्तेमाल देश में सेल्युलर, ब्रॉडबैंड इंटरनेट, फाइबर ऑप्टिक और अन्य कम्युनिकेशन सर्विसेज के विस्तार के लिए किया जाता है। जब फंड की स्थापना की गई थी, तब पाकिस्तान की 44 फीसदी तक ही दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध थीं। इतने साल बीतने के बाद भी पाकिस्तान की 15 फीसदी आबादी बिना ‘नेटवर्क' दिन काट रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान के कई इलाके आज तक दूरसंचार सेवाओं तक पहुंच नहीं बना पाए हैं। यह इलाका हमेशा से ही उपेक्षा का शिकार रहा है। बलूचिस्तान के लोग अलग देश की मांग उठाते रहे हैं। रिपोर्ट में USF के अधिकारियों के हवाले से भी लिखा गया है। बताया गया है कि उबड़-खाबड़ इलाकों, कम आबादी, खराब मौसम, बिजली की कमी जैसी परेशानियों का सामना USF को करना पड़ा है। कहा गया है कि इस वजह से तमाम इलाकों तक दूरसंचार सेवाएं पहुंचाई नहीं जा सकी हैं। एक ओर भारत में 5G मोबाइल नेटवर्क लॉन्च हो गया है, वहीं पाकिस्तान में अभी 4G नेटवर्क ही चल रहा है।