ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स को एक नई मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) का दावा है कि OTT कंपनियां बिना भुगतान किए 5G नेटवर्क्स का इस्तेमाल कर रही हैं। इससे टेलीकॉम कंपनियों और इन प्लेटफॉर्म्स के बीच प्रॉफिट शेयरिंग का मुद्दा उठ सकता है।
COAI के डायरेक्टर जनरल, S P Kochhar ने बताया, "टेलीकॉम कंपनिया अपने वॉयस और डेटा के ट्रैफिक को ले जाती हैं। इन नेटवर्क्स का अधिकतर इस्तेमाल OTT प्लेटफॉर्म्स अपने एंड यूजर्स के पास बड़ी मात्रा में डेटा को पहुंचाने के लिए करते हैं। ये डेटा उन्हें कंटेंट प्रोवाइडर्स से मिलता है। OTT कंपनियां इस डेटा को अपने एंड यूजर्स को डिलीवर करने के लिए उन नेटवर्क प्रोवाइडर्स को कोई भुगतान नहीं करती जो इसका जरिया बनते हैं।"
Netflix, Amazon Prime, SonyLIV और Zee5 जैसे
OTT प्लेटफॉर्म्स के पास देश में बड़ी संख्या में यूजर्स हैं। कोचर ने बताया कि OTT प्लेटफॉर्म्स को 5G जैसी नई टेक्नोलॉजी के लॉन्च होने से फायदा मिल रहा है। उनका कहना था, "यह एक घर बनाने और एक फ्लोर पर रहने और अन्य फ्लोर्स को किराए पर देने जैसा है। किराए पर रहने वाले फ्लोर का कमर्शियल इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन वे किराया नहीं चुका रहे। यह बहुत अजीब है। अगर मैंने कुछ बनाया है और मैं उसे किराए पर देता हूं तो मुझे उससे कुछ वैल्यू मिलने की उम्मीद होती है। मैं यह नहीं कह रहा कि आपको जो प्रॉफिट मिल रहा है वह पूरा मेरे पास आना चाहिए लेकिन इसका कुछ हिस्सा जरूर मिलना चाहिए।"
टेलीकॉम कंपनियां बड़े कैपिटल एक्सपेंडिचर के कारण वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रही हैं। इन कंपनियों को 5G नेटवर्क लॉन्च करने पर भारी खर्च करना पड़ा है। कोचर ने बताया, "हम इन नेटवर्क्स को तैयार करने, मेंटेनेंस और इन्हें चलाने के लिए एक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं।" देश का वीडियो OTT मार्केट 2030 तक 12.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। हाल ही में देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी
Reliance Jio ने घोषणा की थी कि उसने 22 लाइसेंस्ड सर्विस एशिया (LSA) में से प्रत्येक में 5G नेटवर्क के लॉन्च को पूरा कर लिया है। कंपनी ने पिछले वर्ष हासिल किए स्पेक्ट्रम के लिए सभी स्पेक्ट्रम बैंड्स में निर्धारित अवधि से पहले इस लॉन्च को पूरा किया है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)