क्‍यों नहीं मिल रहे एलियंस? चल गया पता! आप भी जानें

Aliens : स्‍टडी के बारे में बायोफिजिसिस्ट ‘क्लाउडियो ग्रिमाल्डी’ का कहना है कि हम सिर्फ 60 साल से स्‍पेस को एक्‍स्‍प्‍लोर कर रहे हैं।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 8 मई 2023 12:11 IST
ख़ास बातें
  • एक शोध में इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की गई है
  • स्विट्जरलैंड की सांख्यिकीय बायोफिजिक्स लेबोरेटरी ने की रिसर्च
  • एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में पब्लिश हुई स्‍टडी

साइंटिस्‍ट का कहना है कि हमें धैर्य बनाए रखना चाहिए। यह ऐसी कोशिश है, जिसमें वक्‍त और पैसा दोनों लगता है

Photo Credit: सांकेतिक तस्‍वीर

एलियंस (Aliens) वो रहस्‍य हैं, जिनकी गुत्‍थी सुलझाने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक वर्षों से मेहनत कर रहे हैं। बावजूद इसके कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा है। आखिर हम एलियंस का पता क्‍यों नहीं लगा पाए हैं। एक शोध में इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की गई है। स्विट्जरलैंड की सांख्यिकीय बायोफिजिक्स लेबोरेटरी ने इस पर रिसर्च की है, जो एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में पब्लिश हुई है। स्‍टडी के बारे में बायोफिजिसिस्ट ‘क्लाउडियो ग्रिमाल्डी' का कहना है कि हम सिर्फ 60 साल से स्‍पेस को एक्‍स्‍प्‍लोर कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि पृथ्‍वी एक ऐसे बबल में स्थित हो सकती है, जहां एलियंस की ओर से भेजे जाने वाले सिग्‍नल ना पहुंचते हों। 

ग्रिमाल्डी ने साइंस अलर्ट को यह बताया। उन्‍होंने समझाया कि हमारे पास स्‍पेस में स्‍कैन करने के लिए बहुत ज्‍यादा जगह है। ऐसी संभावना है कि एलियंस से जुड़े ट्रांसमिशन पर्याप्‍त संख्‍या में हमारे रूट में नहीं आते। 

हालांकि ग्रिमाल्डी का मानना है कि हमें धैर्य बनाए रखना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि यह ऐसी कोशिश है, जिसमें वक्‍त और पैसा दोनों लगता है साथ ही यह बहस भी होती है कि अलौकिक बुद्धिमत्ता (extraterrestrial intelligence) को खोजना हमारे लायक होगा या नहीं। ग्रिमाल्डी ने कहा कि एलियंस की खोज के लिए हमारे पास स्‍पेस में अभी बहुत जगह है। उन्‍होंने कहा कि एलियंस की तलाश में वैज्ञानिकों को उस डेटा पर फोकस करना चाहिए जो दूसरे मिशनों पर काम कर रहे टेलिस्‍कोपों द्वारा जुटाया जा रहा है। 

दूसरी ओर, एक अन्‍य स्‍टडी में कहा गया है कि मोबाइल टावर के सिग्‍नलों का इस्‍तेमाल करके एलियंस हमें ढूंढने में सक्षम हो सकते हैं। यह स्‍टडी रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मासिक नोटिस (Royal Astronomical Society) में पब्लिश हुई है। इसमें कहा गया है कि बीते एक दशक में पृथ्‍वी पर मोबाइल फोन नेटवर्क का जाल बिछाया गया है। इसके लिए हर देश ने अपने यहां लाखों की संख्‍या में रेडियो ट्रांसमिशन टावर (radio transmission towers) इंस्‍टॉल किए हैं, जिन्‍हें आमतौर पर मोबाइल टावर भी कहा जाता है।

इनसे निकलने वाले रेडियो सिग्‍नलों का कुछ हिस्‍सा अंतरिक्ष में भी चला जाता है। स्‍टडी कहती है कि अगर एलियंस के पास भी तकनीक मौजूद है और वो रेडियो एस्‍ट्रोनॉमी से जुड़ी क्षमताओं से लैस हैं, तो पृथ्‍वी से निकले सिग्‍नलों का पता एक दर्जन प्रकाश वर्ष या उससे भी कम वक्‍त में लगाया जा सकता है।  
 

 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. 7,000mAh की बैटरी के साथ भारत में लॉन्च होगा Moto G06 Power, Flipkart के जरिए बिक्री
#ताज़ा ख़बरें
  1. iQOO Neo 11 में हो सकती है 7,500mAh की बैटरी, जल्द हो सकता है लॉन्च
  2. Apple के अगले CEO बन सकते हैं John Ternus, कंपनी के चीफ Tim Cook की हो सकती है रिटायरमेंट!
  3. itel ने भारत में पेश किया A100C स्मार्टफोन, इसमें ब्लूटूथ से होगी कॉलिंग! जानें स्पेसिफिकेशन्स
  4. Ather की बड़ी कामयाबी, 5 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की मैन्युफैक्चरिंग   
  5. Elon Musk को पसंद नहीं है QR कोड, X पर छिड़ी कमेंट्स की जंग, एक यूजर ने दे डाला आइडिया
  6. Apple का स्लिम और धांसू MacBook Air (M2) Rs 23 हजार के बंपर डिस्काउंट पर! यहां से खरीदें
  7. 7,000mAh की बैटरी के साथ भारत में लॉन्च होगा Moto G06 Power, Flipkart के जरिए बिक्री
  8. क्यों ठप्प पड़े अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की वेबसाइट्स और एजुकेशन प्रोग्राम? जानें वजह
  9. Oppo Reno 15 सीरीज जल्द हो सकती है लॉन्च, कंपनी कर रही नए स्मार्टफोन्स की टेस्टिंग!
  10. Aadhaar में मोबाइल नंबर कैसे करें अपडेट, ये है ऑनलाइन प्रोसेस
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.