स्पेस सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स की भागीदारी बढ़ रही है। अमेरिका की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) अबतक सबसे सफल रही है। उसका रॉकेट अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन तक पहुंचा रहा है। स्पेसएक्स ने दुनिया के सबसे भारी रॉकेट ‘स्टारशिप' को भी टेस्ट किया है, जो भविष्य में मंगल ग्रह तक अंतरिक्ष यात्रियों को पहुंचा सकता है। इस मुकाम तक पहुंचने में कंपनी ने लंबा वक्त तय किया है और कई असफलताओं को देखा है। बुधवार को एक जापानी कंपनी भी ऐसी ही असफलता का शिकार हुई। Space One नाम की कंपनी का रॉकेट लॉन्च के कुछ वक्त बाद विस्फोट कर गया। इसका फुटेज भी आया है।
टोक्यो बेस्ड स्टार्टअप Space One एक सैटेलाइट को ऑर्बिट में पहुंचाने वाली पहली जापानी फर्म बनना चाह रही थी। उसने 18 मीटर के सॉलिड-फ्यूल कैरोस रॉकेट को पश्चिमी जापान के वाकायामा में अपने लॉन्च पैड से लॉन्च किया। रॉकेट के साथ एक छोटे सरकारी टेस्ट सैटेलाइट को भी भेजा गया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, लॉन्च के कुछ सेकंड बाद ही रॉकेट आग की लपटों में बदल गया और लॉन्च पैड एरिया में काला धुआं भर गया। जैसे ही स्पिंकलर ने पानी का छिड़काव किया, जलता हुआ मलबा आसपास के पहाड़ों पर गिरता हुआ दिखा। घटना के बाद एक बयान में स्पेस वन ने कहा कि कैरोस रॉकेट को लॉन्च करते ही हमने उसे कैंसल करने का फैसला किया। फिलहाल पूरे घटनाक्रम की जांच की जा रही है।
इस नाकामयाबी से जापान की उम्मीदों को झटका लगा है। दुनियाभर के देश सैटेलाइट लॉन्च मार्केट में आगे बढ़ने के लिए प्राइवेट कंपनियों को आगे ला रहे हैं, लेकिन पहला ही रॉकेट फेल होने के बाद स्पेस वन को नए सिरे से मेहनत करनी होगी।
उम्मीद जताई जा रही थी कि कैरोस रॉकेट लॉन्चिंग के 51 मिनट बाद सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। स्पेस वन को साल 2018 में शुरू किया गया था। इसे शुरू करने में कैनन इलेक्ट्रॉनिक्स, आईएसआई एयरोस्पेस, एक कंस्ट्रक्शन फर्म और डेवलपमेंट बैंक ऑफ जापान शामिल थे।
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