इस बार पूर्णिमा 24 जून को है जब इस ग्रह के विभिन्न क्षेत्रों से चांद अपने पूर्ण आकार में दिखाई दे रहा होगा। 24 जून को दोपहर बाद 2 बजकर 40 मिनट EDT के अनुसार और 25 जून को रात्रि 12 बजकर 10 मिनट पर भारतीय मानक समय IST के अनुसार पूनम का चांद दिखाई देगा। इस बार यह 23 जून से लेकर 26 जून तक पूरे आकार में दिखाई देगा। अगले दिन यह उन स्थानों से देखा जा सकता है जो कि भारतीय मानक समय, रेखा द्वीप समय और अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के क्षेत्रों पर पड़ते हैं। यह सुपरमून है या नहीं अभी यह बहस का विषय बना हुआ है।
चंद्रमा को सुपरमून कहा जाए या नहीं इसके लिए विभिन्न मापदंडों का उपयोग किया जाता है। इस बार की पूर्णिमा के चांद के बारे में कुछ प्रकाशन इसे इस साल के चार सुपरमून में से आखिरी बता रहे हैं। दूसरे प्रकाशनों का इसको लेकर अलग मत है जो कह रहे हैं कि यह पिछले तीन सुपरमून की अपेक्षा इस बार पृथ्वी से काफी दूरी पर है।
इसे सुपरमून कहा जाए या कुछ और ये तो अलग विषय है। मगर NASA इसके बारे में कहती है कि यह पृथ्वी आधारित देशांतर के अनुसार सूर्य की विपरीत दिशा में चलते हुए लाल रंग का दिखाई देगा जैसी कि स्ट्रॉबैरी होती है। इसके ऐतिहासिक नामों में से एक Honey Moon भी है जिसे विश्व भर में जाना जाता है।
India
भारत के संदर्भ में इसे वट पूर्णिमा कहा जाता है। इन तीन दिनों के दौरान विवाहित हिंदू महिलाएं अपने जीवनसाथी के लिए अपने प्रेम को दर्शाती हैं और इसके लिए वह बरगद के पेड़ के चारों ओर एक अनुष्ठानिक धागा बांधती हैं। यह त्यौहार महाभारत महाकाव्य में वर्णित सावित्रि और सत्यवान की कथा से संबंधित है।
United States
1930 के दशक से प्रकाशित होने वाले Maine Farmer के पंचांग के अनुसार उत्तर-पूर्वी अमेरिका की अल्गोंक्विन जनजातियों ने इस क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी के लिए कम कटाई के मौसम का जिक्र करते हुए इसे स्ट्राबेरी मून कहा है।
Europe
यूरोप में इस पूर्णिमा का पुराना नाम हनी मून या मीड मून (Mead Moon) है। कुछ लेखों से पता चलता है कि शहद वर्ष के इस समय के आसपास इकट्ठा करने के लिए तैयार था। वहीं से पूर्णिमा को इसका नाम मिला। मीड एक प्रकार का पेय है जिसे फलों, मसालों, अनाज या हॉप्स के साथ मिश्रित शहद को फर्मेंटेशन करके तैयार किया जाता है।
विवाह के पहले महीने को "हनीमून" कहने की परंपरा को जून में शादी करने की प्रथा के कारण इस पूर्णिमा से जोड़ा जा सकता है। इसके अलावा फिर क्योंकि यह चंद्रमा वर्ष का "सबसे प्यारा" चंद्रमा है इससे भी जोड़ा सकता है।
कुछ यूरोपीय देशों में इसे रोज मून के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम संभवतः उन गुलाबों से आया है जो वर्ष के इस समय के आसपास खिलते हैं या वह लाल रंग जो चंद्रमा धारण करता है।
Other seasonal names
नासा के ब्लॉग के अनुसार इस पूर्णिमा के कुछ अन्य नाम फ्लावर मून, हॉट मून, हो मून और प्लांटिंग मून हैं।
बौद्ध इसे पॉसन पोया कहते हैं जो संभवत: श्रीलंका में पॉसन अवकाश पर आधारित है। जो 236 ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म की शुरूआत के जश्न के रूप में मनाया जाता है।
एक जनजाति, जो ज्यादातर संयुक्त राज्य के मध्य-अटलांटिक क्षेत्र में रहती थी लेकिन अब बिखरी हुई है, इसे लूनर टोही ऑर्बिटर के सम्मान में LRO मून कहती है। इसे उन्होंने जून 2009 में चंद्रमा की ओर लॉन्च किया था। नासा के अनुसार एलआरओ अभी भी चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।
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