पृथ्वी समेत सौरमंडल को हिलाने आ रहे हैं छोटे ब्लैक होल: स्टडी

ब्लैक होल हमेशा से ही अंतरिक्ष में रहस्य की तरह मौजूद रहे हैं।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 27 जनवरी 2024 14:06 IST
ख़ास बातें
  • इसका बड़ा असर ग्रहों, और उनके उपग्रहों की कक्षा पर पड़ेगा।
  • वे अपने निर्धारित ऑर्बिट से डगमगा सकते हैं।
  • ब्लैक होल में फ‍ि‍ज‍िक्‍स का कोई नियम काम नहीं करता।

ब्लैक होल हमेशा से ही अंतरिक्ष में रहस्य की तरह मौजूद रहे हैं।

अंतरिक्ष में रुचि रखने वालों ने ब्लैक होल का नाम जरूर सुना होगा। ये अंतरिक्ष में मौजूद ऐसे स्थान होते हैं जिनके बारे में अभी तक कुछ भी नहीं जाना जा सका है। कहते हैं कि इनके भीतर से कोई वस्तु पार होकर नहीं जा सकती है। यहां तक कि रोशनी भी नहीं। अब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की है जिसने उनकी चिंता को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। 

स्टडी कहती है कि कुछ छोटे ब्लैक होल जो ब्रह्मांड की शुरुआत से बनते आ रहे हैं, पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य ग्रहों की कक्षा को डगमगा सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह अनुमान सही साबित होता है, और ब्लैक होल सौरमंडल के आसपास से होकर गुजरते हैं तो इसका बड़ा असर ग्रहों, और उनके उपग्रहों की कक्षा पर पड़ेगा। वे अपने निर्धारित ऑर्बिट से डगमगा सकते हैं। कहा जा रहा है कि ये ब्लैक होल हर दस साल बाद सौरमंडल के पास होकर गुजरने वाले हैं। 

ब्लैक होल के मौजूद होने, और खुद को ब्रह्मांड की विशालता में छुपाए रखने की बात ही मन में बेचैनी पैदा करने के लिए बाकी है। इनके होने से जो प्रभाव पैदा हो सकता है, उसके संभावित परिणाम और भी ज्यादा चिंता पैदा करते हैं। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अगर ये रहस्यमी कॉस्मिक बॉडी सच में मौजूद हैं और अगर ये सोलर सिस्टम के करीब आती हैं तो सभी ग्रहों, उपग्रहों को प्रभावित कर सकती हैं। 'क्लोज एनकाउंटर ऑफ द प्रीमॉर्डियल काइंड: ए न्यू ऑब्जर्वेबल फॉर प्रीमॉर्डियल ब्लैक होल एज डार्क मैटर' नामक पेपर में इस खोज को प्रकाशित किया गया है। 

ब्लैक होल हमेशा से ही अंतरिक्ष में रहस्य की तरह मौजूद रहे हैं। हाल ही में खगोलविदों की एक टीम ने अबतक के सबसे दूर और पुराने ब्‍लैक होल का पता लगाया है। इस ब्‍लैक होल को बहुत पुरानी आकाशगंगा GN-z11 में देखा गया है, जो 13.4 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। यह ब्लैक होल सूर्य से लगभग 60 लाख गुना बड़ा है और ऐसा लगता है कि यह अपनी आसपास की आकाशगंगा में मौजूद पदार्थों को 5 गुना ज्‍यादा तेजी से खा रहा है। 

खोज यह समझने में एक बड़ा कदम हो सकती है कि ब्रह्मांड के शुरुआती युगों में सुपरमैसिव ब्लैक होल सूर्य के लाखों अरब गुना द्रव्यमान तक कैसे पहुंचे। ब्‍लैक होल हमारे ब्रह्मांड में ऐसी जगहें हैं, जहां फ‍ि‍ज‍िक्‍स का कोई नियम काम नहीं करता। वहां सिर्फ गुरुत्वाकर्षण है और घना अंधेरा। ब्‍लैक होल्‍स का गुरुत्वाकर्षण इतना पावरफुल होता है, कि उसके असर से रोशनी भी नहीं बचती। जो भी चीज ब्‍लैक होल के अंदर जाती है, वह बाहर नहीं आ सकती।
 
 

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हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

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