वैज्ञानिकों ने एक नई सेल्फ-हीलिंग (खुद को ठीक करने वाला) हाइड्रोजेल डेवलप किया है, जो खुद को चार घंटे में 90% तक रिपेयर कर सकता है और 24 घंटे में पूरी तरह से पहले जैसा हो जाता है। यह खोज आल्टो यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ बायरॉथ के शोधकर्ताओं ने की है। यह नया हाइड्रोजेल इंसानी त्वचा जैसा लचीला और मजबूत है, जिससे चोट की हीलिंग, आर्टिफिशियल स्किन और पुनर्जीवित चिकित्सा (Regenerative Medicine) में बड़े बदलाव आ सकते हैं।
यह खोज 7 मार्च को पॉपुलर साइंस जर्नल Nature Materials में
पब्लिश हुई। साइंटिस्ट्स ने हाइड्रोजेल में अल्ट्रा-थिन क्ले नैनोशीट्स मिलाई हैं, जिससे इसका ढांचा अधिक संगठित हो जाता है और पॉलीमर आपस में मजबूती से जुड़ जाते हैं। आमतौर पर हाइड्रोजेल नरम और कमजोर होता है, लेकिन इस नई संरचना से यह मजबूत होने के साथ खुद को रिपेयर भी कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा, "कई जैविक ऊतक (Biological Tissues) मजबूत और कठोर होते हैं, लेकिन फिर भी खुद को ठीक कर सकते हैं। इसके विपरीत, सिंथेटिक हाइड्रोजेल में ये दोनों गुण नहीं मिलते थे।"
जेल का इस्तेमाल रोजमर्रा की कई चीजों में होता है, जैसे बालों के प्रोडक्ट्स और खाने की टेक्सचरिंग में। लेकिन इंसानी स्किन की तरह लचीला और खुद को ठीक करने वाला मटेरियल बनाना अब तक एक चुनौती थी। स्किन मजबूत व टिकाऊ होती है और खुद को रिपेयर करने की क्षमता रखती है। इस हाइड्रोजेल को बनाने में नैनोशीट-एन्हांस्ड पॉलीमर एंटैंगलमेंट तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह समस्या हल हो गई।
इस खोज से वूंड हीलिंग, दवा पहुंचाने की तकनीक (Drug Delivery), सॉफ्ट रोबोटिक्स और कृत्रिम अंगों (Prosthetics) के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। यह नई हाइड्रोजेल जलने के घाव, सर्जरी के बाद रिकवरी और क्रॉनिक वाउंड ट्रीटमेंट में भी काफी मददगार साबित हो सकती है।