रोबोट समझेंगे आपके जज्बात! इस नई तकनीक से वैज्ञानिक कर रहे दावा

शोधकर्ताओं ने किसी व्यक्ति की भावनाओं को समझने के लिए त्वचा की चालकता के गुण पर प्रयोग किया है

रोबोट समझेंगे आपके जज्बात! इस नई तकनीक से वैज्ञानिक कर रहे दावा

नई खोज में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भविष्य में बनने वाले रोबोट्स इंसान की फीलिंग भी समझेंगे।

ख़ास बातें
  • भावनाओं को समझने के लिए त्वचा की चालकता के गुण पर प्रयोग
  • स्किन कंडक्टेंस के आधार पर वैज्ञानिकों का दावा
  • प्रयोग में अलग-अलग भावनाओं के लिए अलग-अलग पैटर्न निकल कर सामने आए
विज्ञापन
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से रोबोटिक्स तकनीकी में अपार संभावनाएं पैदा हो गई हैं। वैज्ञानिक लगातार ऐसे रोबोट बनाने की कोशिश में लगे हैं जो मनुष्यों के साथी होंगे। इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण खोज वैज्ञानिकों के हाथ लगी है। नई खोज में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भविष्य में बनने वाले रोबोट्स इंसान की फिलिंग भी समझेंगे। यानी ये भावनाओं को भी आंक सकेंगे कि आप उस वक्त कैसा महसूस कर रहे हैं। है न कमाल की बात? आइए विस्तार से इस नई खोज के बारे में जानते हैं। 

भविष्य के रोबोट्स इंसानों की भावनाओं को भी समझ सकेंगे। वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि रोबोट इंसानों की त्वचा को छूकर ही भावनाओं का पता लगा सकेंगे। IEEE Access जर्नल में यह स्टडी पब्लिश की गई है। जिसके मुताबिक, शोधकर्ताओं ने किसी व्यक्ति की भावनाओं को समझने के लिए त्वचा की चालकता के गुण पर प्रयोग किया है जिसे अंग्रेजी में स्किन कंडक्टेंस कहते हैं। स्किन कंडक्टेंस (Skin conductance) वह माप है जिससे पता चलता है कि स्किन कितनी अच्छी तरह से इलेक्ट्रिसिटी को कंडक्ट कर सकती है। यह आमतौर पर पसीने के स्राव और तंत्रिका गतिविधि की प्रतिक्रिया में बदलती है, जो इंसानों की अलग अलग भावनात्मक अवस्थाओं को दर्शाती है।

भावनाओं का पता लगाने वाली परंपरागत तकनीक जैसे फेशियल रिकग्निशन और स्पीच एनालिसिस कई बार सटीक भावनाओं को नहीं पहचान पाती है। वैज्ञानिकों का कहना ​​है कि त्वचा चालकता एक संभावित समाधान प्रदान करती है जो रीयल टाइम में भावनाओं को पकड़ने का एक गैर-आक्रामक तरीका उपलब्ध करवाती है। स्टडी के लिए वैज्ञानिकों ने 33 भागीदारों को शामिल किया। भागीदारों को भावनाएं उकसाने वाले वीडियो दिखाए गए। इसके दौरान उनके स्किन कंडक्टेंस को मापा गया। 

प्रयोग में अलग-अलग भावनाओं के लिए अलग-अलग पैटर्न निकल कर सामने आए। इनमें डर की भावनाएं सबसे लम्बे समय तक मौजूद देखी गईं। वहीं, फैमिली बॉन्डिंग वाले इमोशंस, खुशी और गम की मिली जुली भावना के लिए स्लो रेस्पॉन्स देखा गया। दूसरी ओर, हास्य यानी गुदगुदाने वाले वीडियो ने फास्ट लेकिन जल्द ही मिट जाने वाले रिएक्शन दिखाए। इस स्टडी से वैज्ञानिकों की उम्मीद मजबूत होती है कि जल्द ही ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित कर ली जाएगी जो फिजियोलॉजिकल सिग्नल समेत सटीक भावनाओं का अंदाजा लगा सकेगी।
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. 7,000mAh की बैटरी के साथ भारत में लॉन्च होगा Moto G06 Power, Flipkart के जरिए बिक्री
  2. क्यों ठप्प पड़े अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की वेबसाइट्स और एजुकेशन प्रोग्राम? जानें वजह
  3. Oppo Reno 15 सीरीज जल्द हो सकती है लॉन्च, कंपनी कर रही नए स्मार्टफोन्स की टेस्टिंग!
  4. Aadhaar में मोबाइल नंबर कैसे करें अपडेट, ये है ऑनलाइन प्रोसेस
  5. हर साल नया iPhone, EMI से सस्ता सब्सक्रिप्शन! लॉन्च हुआ BytePe प्लेटफॉर्म
  6. Amazon की दिवाली सेल में Samsung Galaxy A55 5G पर आया 16 हजार का डिस्काउंट
  7. Realme GT 8 Pro में मिल सकता है 200 मेगापिक्सल टेलीफोटो कैमरा
  8. FASTag अकाउंट का सिक्योरिटी डिपॉजिट चाहिए रिफंड तो करें ये काम
  9. BSNL की VoWiFi सर्विस पश्चिम, दक्षिण जोन सर्किल में हुई लॉन्च, 4G सर्विस भी हुई मुंबई में शुरू
  10. Portronics Toad Ergo 4: दाम में Rs 899, लेकिन फीचर्स में लोडेड! एक साथ 3 डिवाइस से हो सकता है कनेक्ट
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »