नासा (NASA) के मून मिशन आर्टिमिस-1 (Artemis I) की लॉन्चिंग होना अभी बाकी है। इस बीच नासा और अमेरिका में उसके तमाम सहयोगी दूसरे आर्टेमिस लॉन्च के लिए स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट पर काम कर रहे हैं। यह पहला क्रू आर्टेमिस मिशन होगा। यानी इसके जरिए एक बार फिर इंसान को चांद पर उतारा जाएगा। नासा ने कहा है कि SLS रॉकेट पर काम कर रहे वैज्ञानिकों की टीमों ने दूसरे आर्टेमिस मिशन में ‘बेहतरीन प्रगति' की है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि उसकी टीमें आर्टेमिस मिशन के प्रमुख हिस्सों को भी टेस्ट कर रही हैं, जिन्हें पहले दो मिशन के बाद लॉन्च किया जाना है। ये आर्टिमिस-3, 4 और 5 मिशन होंगे।
आर्टेमिस मिशन नासा के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोग्राम्स में से एक है। इसका मकसद 1970 के दशक के बाद पहली बार इंसान को चंद्रमा पर उतारना है। नासा का लक्ष्य लंबे समय के लिए चंद्रमा पर इंसान की मौजूदगी स्थापित करना है। इसके साथ ही मंगल पर जाने के लिए चंद्रमा को लॉन्चपैड में बदलना है। आर्टिमिस-1 इस जटिल सीरीज का पहला हिस्सा है। वहीं, SLS रॉकेट दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट होने जा रहा है, जो मिशन को तेजी से आगे भेजने में सक्षम होगा।
दो सॉलिड रॉकेट बूस्टर और चार RS-25 इंजन के साथ SLS रॉकेट हरेक आर्टेमिस मिशन को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा तक ले जाने के लिए 8.8 मिलियन पाउंड से अधिक का थ्रस्ट पैदा करता है। एक ब्लॉग पोस्ट में नासा ने कहा है कि पूरे अमेरिका में एक हजार से ज्यादा कंपनियों ने आर्टेमिस-1 के SLS रॉकेट और बाकी SLS रॉकेट को बनाने में मदद की है।
SLS प्रोग्राम के मैनेजर, जॉन हनीकट ने कहा कि स्पेस लॉन्च सिस्टम टीम सिर्फ एक रॉकेट का निर्माण नहीं कर रही, यह भविष्य की उड़ानों के लिए कई SLS रॉकेट बना रही है।
आर्टेमिस-1 मिशन के जरिए चंद्रमा को एक्स्प्लोर किया जाएगा। यह स्पेसक्राफ्ट चार से छह सप्ताह में पृथ्वी से 280,000 मील की यात्रा करेगा। हालांकि मिशन की लॉन्चिंग में देरी हुई है। नासा ने पिछले साल नवंबर में आर्टेमिस-1 को लॉन्च करने की योजना बनाई थी। बाद में इसे फरवरी तक के लिए टाल दिया गया और अब इसके मार्च या अप्रैल में लॉन्च होने की उम्मीद है।