पृथ्‍वी में छुपे ताजे पानी का पता लगाने के लिए Nasa लॉन्‍च करेगी सैटेलाइट

सैटेलाइट का काम हमारे ग्रह पर मौजूद पानी के सोर्सेज से जुड़े डेटा गैप को पूरा करना है।

विज्ञापन
प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 26 जुलाई 2022 17:31 IST
ख़ास बातें
  • नवंबर में इस मिशन को लॉन्‍च किया जाना है
  • पृथ्‍वी पर मौजूद मीठे पानी के स्रोतों की करेगा मैपिंग
  • जल संकट से निपटने में मिलेगी मदद

यह हमारे ग्रह का मैप तैयार करेगा और पृथ्वी के जल चक्र की बेहतर समझ प्रदान करेगा।

दुनिया के कई हिस्‍से जल संकट से जूझ रहे हैं। कई देशों में अगले कुछ साल में पानी की समस्‍या विकराल हो सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) और फ्रांस की स्‍पेस एजेंसी इस महासंकट से निपटने के लिए कोशिश कर रहे हैं। दुनिया में पानी के छुपे हुए सोर्सेज की पहचान करने के लिए अब सैटेलाइट की मदद ली जाएगी। इसका नाम है- सर्फेस वॉटर एंड ओसियन टोपोग्राफी (SWOT) सैटेलाइट। यह हमारे ग्रह का मैप तैयार करेगा और पृथ्वी के जल चक्र की बेहतर समझ प्रदान करेगा। यही नहीं, सैटेलाइट का काम जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में मदद करना है और इस जानकारी को बढ़ाना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से झीलें, नदियां और जलाशयों पर कैसे असर पड़ता है। 

सैटेलाइट का काम हमारे ग्रह पर मौजूद पानी के सोर्सेज से जुड़े डेटा गैप को पूरा करना है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि (SWOT) सैटेलाइट हमारी पृथ्‍वी की 95 फीसदी से ज्‍यादा झीलों को भी मापेगा, जो 15 एकड़ से बड़ी हैं। इसके साथ ही 330 फीट से अधिक चौड़ी नदियों को मापा जाएगा। यह स्‍पेसक्राफ्ट पानी की ऊंचाई को भी मापेगा साथ ही उसकी सर्फेस एरिया की भी जानकारी लेगा। इससे वैज्ञानिकों को यह कैलकुलेट करने में मदद मिलेगी कि फ्रैशवॉटर बॉडीज के जरिए कितना पानी गुजरता करता है। नवंबर में कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से SWOT मिशन को लॉन्‍च किया जाना है। 

वैज्ञानिक यह मानते आए हैं कि जलवायु परिवर्तन ने पृथ्वी के जल चक्र को तेज किया है। गर्म तापमान का मतलब है कि वातावरण में अधिक पानी (जलवाष्प के रूप में) हो सकता है, जिससे किसी इलाके में बारिश और तूफान ज्‍यादा आ सकते हैं। यह एग्रीकल्‍चर को प्रभावित कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, मौजूदा डेटाबेस में दुनिया में कुछ हजार झीलों की जानकारी हो सकती है। SWOT सैटेलाइट करीब 60 लाख ऐसे स्‍पॉट की पहचान करने का लक्ष्‍य रखता है। यह स्‍पेसक्राफ्ट एक ‘का-बैंड रडार इंटरफेरोमीटर' (केआरआईएन) का इस्‍तेमाल करेगा। यह एक बार में लगभग 120 किलोमीटर-चौड़े क्षेत्र के बारे में जानकारी जुटाने में सक्षम होगा। 

वैज्ञानिकों को इस मिशन से बहुत उम्‍मीदें हैं। मुमकिन है कि इससे पानी के कुछ छुपे हुए सोर्सेज की पहचान होगी और जल संकट से निपटने के लिए एक रणनीति बनाई जा सकेगी। 
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: NASA, freshwater survey, Satellite, SWOT satellite

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. 14 हजार रुपये गिरी 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाले Samsung स्मार्टफोन की कीमत
  2. Android कंपनियों को देना होगा 5 साल तक अपडेट, नए नियम से भारतीयों को भी फायदा?
  3. WWDC 2025 : AirPods में मिलेगा कैमरा कंट्रोल और स्लीप डिटेक्शन फीचर!
#ताज़ा ख़बरें
  1. WWDC 2025 : AirPods में मिलेगा कैमरा कंट्रोल और स्लीप डिटेक्शन फीचर!
  2. Android कंपनियों को देना होगा 5 साल तक अपडेट, नए नियम से भारतीयों को भी फायदा?
  3. 14 हजार रुपये गिरी 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाले Samsung स्मार्टफोन की कीमत
  4. फीचर फोन यूजर्स भी कर सकेंगे UPI पेमेंट्स, PhonePe जल्द लाएगा नया ऐप!
  5. Huawei Band 10 भारत में लॉन्च, AMOLED स्क्रीन और 14 दिन की बैटरी के साथ; जानें कीमत
  6. iQOO Z10 Lite 5G जल्द होगा भारत में लॉन्च, 6,000mAh की बैटरी
  7. Oppo की K13x 5G के लॉन्च की तैयारी, 6,000mAh हो सकती है बैटरी
  8. Google Chrome होगा अब तक सबसे तेज!, अब ज्यादा फास्ट होगा काम, बचेगा समय
  9. Elon Musk की Starlink सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को भारत की हरी झंडी!
  10. Fairphone 6 का डिजाइन और प्राइस लीक, मॉड्यूलर स्मार्टफोन जल्द हो सकता है लॉन्च
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.