पृथ्‍वी में छुपे ताजे पानी का पता लगाने के लिए Nasa लॉन्‍च करेगी सैटेलाइट

नवंबर में कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से SWOT मिशन को लॉन्‍च किया जाना है।

पृथ्‍वी में छुपे ताजे पानी का पता लगाने के लिए Nasa लॉन्‍च करेगी सैटेलाइट

यह हमारे ग्रह का मैप तैयार करेगा और पृथ्वी के जल चक्र की बेहतर समझ प्रदान करेगा।

ख़ास बातें
  • नवंबर में इस मिशन को लॉन्‍च किया जाना है
  • पृथ्‍वी पर मौजूद मीठे पानी के स्रोतों की करेगा मैपिंग
  • जल संकट से निपटने में मिलेगी मदद
विज्ञापन
दुनिया के कई हिस्‍से जल संकट से जूझ रहे हैं। कई देशों में अगले कुछ साल में पानी की समस्‍या विकराल हो सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) और फ्रांस की स्‍पेस एजेंसी इस महासंकट से निपटने के लिए कोशिश कर रहे हैं। दुनिया में पानी के छुपे हुए सोर्सेज की पहचान करने के लिए अब सैटेलाइट की मदद ली जाएगी। इसका नाम है- सर्फेस वॉटर एंड ओसियन टोपोग्राफी (SWOT) सैटेलाइट। यह हमारे ग्रह का मैप तैयार करेगा और पृथ्वी के जल चक्र की बेहतर समझ प्रदान करेगा। यही नहीं, सैटेलाइट का काम जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में मदद करना है और इस जानकारी को बढ़ाना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से झीलें, नदियां और जलाशयों पर कैसे असर पड़ता है। 

सैटेलाइट का काम हमारे ग्रह पर मौजूद पानी के सोर्सेज से जुड़े डेटा गैप को पूरा करना है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया है कि (SWOT) सैटेलाइट हमारी पृथ्‍वी की 95 फीसदी से ज्‍यादा झीलों को भी मापेगा, जो 15 एकड़ से बड़ी हैं। इसके साथ ही 330 फीट से अधिक चौड़ी नदियों को मापा जाएगा। यह स्‍पेसक्राफ्ट पानी की ऊंचाई को भी मापेगा साथ ही उसकी सर्फेस एरिया की भी जानकारी लेगा। इससे वैज्ञानिकों को यह कैलकुलेट करने में मदद मिलेगी कि फ्रैशवॉटर बॉडीज के जरिए कितना पानी गुजरता करता है। नवंबर में कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से SWOT मिशन को लॉन्‍च किया जाना है। 

वैज्ञानिक यह मानते आए हैं कि जलवायु परिवर्तन ने पृथ्वी के जल चक्र को तेज किया है। गर्म तापमान का मतलब है कि वातावरण में अधिक पानी (जलवाष्प के रूप में) हो सकता है, जिससे किसी इलाके में बारिश और तूफान ज्‍यादा आ सकते हैं। यह एग्रीकल्‍चर को प्रभावित कर सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, मौजूदा डेटाबेस में दुनिया में कुछ हजार झीलों की जानकारी हो सकती है। SWOT सैटेलाइट करीब 60 लाख ऐसे स्‍पॉट की पहचान करने का लक्ष्‍य रखता है। यह स्‍पेसक्राफ्ट एक ‘का-बैंड रडार इंटरफेरोमीटर' (केआरआईएन) का इस्‍तेमाल करेगा। यह एक बार में लगभग 120 किलोमीटर-चौड़े क्षेत्र के बारे में जानकारी जुटाने में सक्षम होगा। 

वैज्ञानिकों को इस मिशन से बहुत उम्‍मीदें हैं। मुमकिन है कि इससे पानी के कुछ छुपे हुए सोर्सेज की पहचान होगी और जल संकट से निपटने के लिए एक रणनीति बनाई जा सकेगी। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: NASA, freshwater survey, Satellite, SWOT satellite
प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News
 
 

विज्ञापन

Advertisement

#ताज़ा ख़बरें
  1. 1,000 से ज्यादा क्रिप्टो ATM के साथ ऑस्ट्रेलिया बना तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क, जानें पहले दो कौन?
  2. Mahindra XUV 3XO: एक लीटर में इतने किलोमीटर चलेगी महिंद्रा की अपकमिंग SUV, परफॉर्मेंस भी की गई टीज
  3. Poco जल्द लॉन्च कर सकती है M6 4G, सर्टिफिकेशन साइट्स पर हुई लिस्टिंग
  4. सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज Binance के फाउंडर Changpeng Zhao को हो सकती है 3 वर्ष की जेल
  5. PUBG प्लेयर्स को याद आने वाले हैं पुराने दिन! इस दिन आ रहा आइकॉनिक Erangel Classic मैप
  6. Apple के iPhone 15 को Flipkart पर भारी डिस्काउंट के साथ खरीदने का मौका, जानें प्राइस
  7. iPhone यूजर्स को मिला WhatsApp का जबरदस्त सेफ्टी फीचर, यहां है इसे सेटअप करने का तरीका
  8. Firefox की Hero Lectro ने Rs 61,999 रुपये में लॉन्च की Muv-e इलेक्ट्रिक बाइक, जानें स्पेसिफिकेशन्स
  9. Nokia स्‍मार्टफोन बनाने वाली कंपनी ने लॉन्‍च किया HMD Vibe फोन, जानें फीचर्स, कीमत
  10. Hyundai और Kia अगले साल लाएगी पहली भारत में तैयार इलेक्ट्रिक कार
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »