1 लाख 65 हजार किलोमीटर दूर धरती के मैग्नेटिक टेल में मिली रहस्यमयी 'कोरस वेव्स', भयानक पक्षी की आवाज जैसी सुनाई देती हैं!

वैज्ञानिक लगभग 70 वर्षों से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अंतरिक्ष में "कोरस वेव" कैसे काम करती हैं।

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 8 फरवरी 2025 14:00 IST
ख़ास बातें
  • पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की टेल में लगभग 165,000 किमी दूर कोरस वेव मिली
  • अब तक ये तरंगें पृथ्वी के केवल 51,000 किलोमीटर के भीतर ही देखी गई थीं
  • करीब 70 सालों से स्पेस में इन वेव के काम करने के तरीकों को खोजा जा रहा है

पृथ्वी चुंबकीय क्षेत्रों की एक प्रणाली से घिरी हुई है, जिसे मैग्नेटोस्फीयर (ऊपर तस्वीर में) कहा जाता है

Photo Credit: NASA

एक अदभुत खोज में पता चला है कि पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड को यदि ऑडियो में बदला जाए, तो वो भयानक, पक्षी की आवाज के जैसा सुनाई देता है। इन्हें "कोरस वेव" (chorus waves) नाम दिया गया है। ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के विस्फोट हैं, जो केवल एक सेकंड के अंश तक ही रहते हैं लेकिन घंटों तक जारी रह सकते हैं। हालांकि ये सुंदर लग सकते हैं, लेकिन ये सैटेलाइट के लिए खतरा पैदा करते हैं। 

Space.com की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की टेल में लगभग 165,000 किमी दूर एक कोरस तरंग का पता लगाया है। यह पहले के अंदाजे से कहीं अधिक दूर है। अब तक, ये तरंगें पृथ्वी के केवल 51,000 किलोमीटर के भीतर ही देखी गई थीं, जहां मैग्नेटिक फील्ड अधिक संरचित है। रिसर्चर्स का मानना ​​था कि टेल में फैला हुई मैग्नेटिक फील्ड ऐसी तरंगों को बनने की अनुमति नहीं देगा, लेकिन यह नई खोज इसके परे कुछ अलग ही साबित करती है।

वैज्ञानिक लगभग 70 वर्षों से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अंतरिक्ष में "कोरस वेव" कैसे काम करती हैं।  ये तरंगें तब पैदा होती हैं जब इलेक्ट्रॉनों के ग्रुप पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में तेजी से घूमते हुए पकड़े जाते हैं। जैसे ही वे घूमते हैं, वे रेडिएशन के रूप में एनर्जी छोड़ते हैं। यह रेडिएशन फिर अन्य इलेक्ट्रॉनों (जो क्वांटम फिजिक्स के कारण वेव की तरह कार्य करता है) के साथ संपर्क करता है और मजबूत हो जाता है, जिससे बड़ी वेव बनती हैं। क्योंकि ये रेडिएशन वेव एक मैग्नेटिक फील्ड के साथ ट्रैवल करती हैं, वेव छोटे विस्फोटों में आती हैं, प्रत्येक विस्फोट की फ्रीक्वेंसी उससे पहले वाले विस्फोट की तुलना में अधिक होती है, जो आवाजों के बढ़ते कोरस के समान होती है।

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने एक खोज की है जो वास्तव में इस सिद्धांत के एक अहम पहलू को सपोर्ट करती है कि ये कोरस वेव कैसे बनती हैं। मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केलर सैटेलाइट के डेटा का उपयोग करते हुए, रिसर्चर्स की टीम ने मापा कि कोरस वेल के अंदर इलेक्ट्रॉन कैसे फैलते हैं। उन्होंने कुछ ऐसा देखा जिसकी फिजिसिस्ट्स के मॉडल ने कई वर्षों से भविष्यवाणी की थी - इलेक्ट्रॉन रेडिएशन में एक "होल"। यह खोज कोरस वेव मैकेनिज्म की मौजूदा समझ को सपोर्ट करती है।

 

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ये भी पढ़े: NASA, Earth, earth magnetic field, NASA discovery
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